
जम्मू-कश्मीर, भारत का वह रमणीय क्षेत्र जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्वविख्यात है, एक बार फिर आतंकवाद और डिजिटल युद्ध के कारण चर्चा में है। हाल ही में, शोपियां जिले में भारतीय सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के तीन आतंकियों को एक सफल ऑपरेशन में ढेर कर दिया। यह कार्रवाई न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत के कठोर रुख को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि देश को अब साइबर युद्ध के नए खतरे का सामना करना पड़ रहा है। पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद भारत पर करीब 15 लाख साइबर हमले दर्ज किए गए, जिनमें से केवल 150 ही सफल हो सके। यह लेख शोपियां ऑपरेशन, पहलगाम हमले, और भारत की साइबर सुरक्षा रणनीति पर विस्तृत प्रकाश डालता है।
शोपियां ऑपरेशन: आतंकवाद पर करारा प्रहार
13 मई 2025 को, जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के जंपाथरी क्षेत्र में भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक संयुक्त अभियान चलाया। खुफिया जानकारी के आधार पर शुरू हुए इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को घेर लिया। आतंकियों द्वारा गोलीबारी शुरू करने के बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें तीनों आतंकी मारे गए।
मारे गए आतंकियों में शामिल थे:
- शाहिद अहमद कुट्टे: शोपियां के चोटिपोरा हीरपोरा का निवासी, जो लश्कर-ए-तैयबा और इसके सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़ा था।
- अदनान शफी: शोपियां का ही एक सक्रिय आतंकी, जो लश्कर का सदस्य था।
- अज्ञात आतंकी: तीसरे आतंकी की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है, लेकिन संदेह है कि वह पाकिस्तान से संबंधित हो सकता है।
इस ऑपरेशन से बरामद हथियारों और गोला-बारूद से पता चलता है कि आतंकी किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे। यह कार्रवाई पहलगाम हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को पूरी तरह समाप्त करना है।
पहलगाम हमला: पर्यटन नगरी में दहशत
22 अप्रैल 2025 को, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए और 14 अन्य घायल हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली। मृतकों में एक नेपाली नागरिक भी शामिल था, जिसने इस घटना को वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में ला दिया।
पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, इस हमले के बाद दहशत के साये में आ गया। आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जो इस क्षेत्र में छुट्टियां बिताने आए थे। इस हमले ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए और यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकी संगठन अब निहत्थे नागरिकों को भी निशाना बनाने से नहीं हिचक रहे।
हमले के बाद, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने तीन पाकिस्तानी आतंकियों की तलाश तेज कर दी, जो इस हमले के मुख्य साजिशकर्ता माने जा रहे हैं। शोपियां और आसपास के क्षेत्रों में इन आतंकियों की तस्वीरों वाले पोस्टर लगाए गए, और उनकी जानकारी देने वालों के लिए 20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का दृढ़ संकल्प
पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इन हमलों में नौ आतंकी ठिकाने नष्ट किए गए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा का मरकज अहले हदीस बरनाला भी शामिल था। यह ठिकाना PoK के भीमर क्षेत्र में स्थित था और आतंकियों की घुसपैठ का प्रमुख केंद्र था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ भारत की अटल प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हम आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे, चाहे वह प्रत्यक्ष हमला हो या इसके पीछे की साजिश।” इस ऑपरेशन ने न केवल आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ पहले से कहीं अधिक आक्रामक रुख अपनाएगा।
साइबर युद्ध: एक अदृश्य खतरा
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को साइबर युद्ध के नए मोर्चे पर चुनौती का सामना करना पड़ा। महाराष्ट्र साइबर सेल की रिपोर्ट “रोड ऑफ सिंदूर” और “इकोज ऑफ पहलगाम” के अनुसार, 23 अप्रैल 2025 के बाद भारत पर करीब 15 लाख साइबर हमले हुए। ये हमले पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मोरक्को, और पश्चिम एशिया के देशों से संचालित थे।
इन हमलों के पीछे सात प्रमुख एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट (APT) समूहों की पहचान की गई, जिनमें शामिल हैं:
- APT 36: पाकिस्तान आधारित हैकिंग समूह।
- टीम इनसेन PK: वेबसाइट डिफेसमेंट और CMS एक्सप्लॉइट में माहिर।
- मिस्टीरियस टीम बांग्लादेश (MTBD): DDoS और DNS फ्लड हमलों के लिए जाना जाता है।
- इंडो हैक्स सेक: भारतीय टेलीकॉम डेटाबेस को निशाना बनाने वाला समूह।
- साइबर ग्रुप होक्स 1337: मैलवेयर और GPS स्पूफिंग में सक्रिय।
- नेशनल साइबर क्रू: पाकिस्तान से संबद्ध।
- गोल्डन फाल्कन: पश्चिम एशिया से संचालित मैलवेयर समूह।
इन समूहों ने भारत के रेलवे, बैंकिंग, टेलीकॉम, और सरकारी पोर्टलों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया। हालांकि, भारत की मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणाली के कारण केवल 150 हमले ही सफल हो सके।
साइबर हमलों की प्रकृति और प्रभाव
इन साइबर हमलों में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया गया, जैसे:
- वेबसाइट डिफेसमेंट: वेबसाइटों की सामग्री को बदलना या अनधिकृत सामग्री अपलोड करना। उदाहरण के लिए, कुलगांव-बदलापुर नगर परिषद की वेबसाइट को निशाना बनाया गया।
- DDoS हमले: सर्वरों को अनुरोधों की बाढ़ से ठप करना।
- मैलवेयर अभियान: डेटा चोरी के लिए सिस्टम में घुसपैठ।
- GPS स्पूफिंग: स्थान संबंधी डेटा को गलत प्रस्तुत करना।
- CMS एक्सप्लॉइट: कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम की कमजोरियों का दुरुपयोग।
इन हमलों का सबसे गंभीर परिणाम भारतीय टेलीकॉम सेक्टर के टेराबाइट डेटा का डार्क वेब पर लीक होना था। इसके अलावा, जालंधर के डिफेंस नर्सिंग कॉलेज और उल्हासनगर नगर निगम की वेबसाइटों पर भी हमले हुए। हालांकि, कुछ वायरल खबरों में दावा किया गया कि मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और चुनाव आयोग की वेबसाइट हैक हुई, लेकिन महाराष्ट्र साइबर सेल ने इन दावों को खारिज कर दिया।
भारत की साइबर सुरक्षा रणनीति
महाराष्ट्र साइबर सेल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक यशस्वी यादव ने कहा, “ये हमले केवल डिजिटल नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साइबर युद्ध का हिस्सा हैं, जिनका मकसद भारत की राष्ट्रीय और डिजिटल सुरक्षा को कमजोर करना है।” भारत ने इन हमलों से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं:
- रेड टीम असेसमेंट: सिस्टम की कमजोरियों की पहचान के लिए नियमित ऑडिट।
- DDoS फेलओवर टेस्ट: सर्वरों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण।
- साइबर ऑडिट: महत्वपूर्ण प्रणालियों का अनिवार्य ऑडिट।
- हेल्पलाइन नंबर: साइबर अपराधों की शिकायत के लिए 1930 और 1945।
- सोशल मीडिया मॉनिटरिंग: अफवाह फैलाने वाले 83 सोशल मीडिया हैंडल निष्क्रिय।
पिछले छह महीनों में, भारत ने साइबर धोखाधड़ी से प्रभावित 200 करोड़ रुपये की राशि को पीड़ितों के खातों में वापस कराने में सफलता हासिल की है। यह भारत की साइबर सुरक्षा की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
पहलगाम हमला और साइबर हमले भारत-पाकिस्तान संबंधों में नए तनाव का संकेत हैं। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा। ऑपरेशन सिंदूर और शोपियां की कार्रवाई इस दृढ़ता का प्रमाण है। वैश्विक स्तर पर, इन घटनाओं ने भारत की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को रेखांकित किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर युद्ध अब पारंपरिक युद्ध जितना ही खतरनाक है, और भारत को अपनी नीतियों को और मजबूत करना होगा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और साइबर युद्ध के खिलाफ भारत की लड़ाई एक बहुआयामी चुनौती है। शोपियां में आतंकियों का खात्मा और साइबर हमलों को नाकाम करना भारत की दृढ़ता और क्षमता को दर्शाता है। हालांकि, डिजिटल युद्ध का बढ़ता खतरा यह संकेत देता है कि भारत को अपनी साइबर सुरक्षा रणनीतियों को और सुदृढ़ करना होगा। आतंकवाद और साइबर युद्ध के खिलाफ यह लड़ाई न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।