हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की, जिसने वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर चर्चा को जन्म दिया। ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि वह दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर विवाद का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे और इसे “हزار साल पुराना” मुद्दा करार दिया। इस बयान के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्षविराम के संदर्भ में ट्रंप ने अपनी भूमिका को “निर्णायक सहयोगी” के रूप में प्रस्तुत किया। हालांकि, भारत ने इस बयान पर आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। भारत की…
Author: Technical True
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की जड़ें 1947 के विभाजन में निहित हैं, जब कश्मीर का मुद्दा दोनों देशों के बीच विवाद का प्रमुख कारण बन गया। इस मुद्दे ने 1947, 1965, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध जैसे कई सैन्य संघर्षों को जन्म दिया। इन संघर्षों में तीसरे पक्ष, विशेष रूप से अमेरिका, की भूमिका हमेशा चर्चा में रही है। शीत युद्ध के दौरान, अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान की, क्योंकि वह सोवियत संघ के खिलाफ उसकी रणनीति का हिस्सा था। दूसरी ओर, भारत ने गुट-निरपेक्ष नीति अपनाई और सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ…
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध 1947 में दोनों देशों के आजाद होने के बाद से ही उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। कश्मीर का मुद्दा इनके बीच सबसे बड़ा विवाद रहा है, जो समय-समय पर सैन्य संघर्ष और तनाव का कारण बनता रहा है। इसके अलावा, आतंकवादी गतिविधियों और नियंत्रण रेखा (LoC) पर होने वाली गोलीबारी ने दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को और बढ़ाया है। 2025 में हाल के घटनाक्रमों ने एक बार फिर इस क्षेत्रीय तनाव को वैश्विक चर्चा का विषय बना दिया। इस लेख में हम इन तनावों, हाल की सैन्य कार्रवाइयों, और शांति की दिशा…
7 मई 2025 को शुरू हुआ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए एक भीषण आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। इस हमले ने न केवल देश को झकझोर दिया, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। खुफिया जानकारी के आधार पर लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों से जुड़े नौ ठिकानों को चिह्नित किया गया और सटीक हमलों के माध्यम से 100 से अधिक आतंकवादियों…
पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराना विवाद है, जो दोनों देशों के संबंधों को परिभाषित करता रहा है। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2025 में, इस क्षेत्र को लेकर तनाव ने नई ऊंचाइयां छू ली हैं। 12 मई 2025 को, सूत्रों ने संकेत दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रात 8 बजे राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में POK के संबंध में एक महत्वपूर्ण घोषणा कर सकते हैं। यह खबर पहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आई है। इस लेख में, हम POK के ऐतिहासिक…
20 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 28 निर्दोष लोग अपनी जान गंवा बैठे। मृतकों में तीर्थयात्री, पर्यटक और स्थानीय निवासी शामिल थे। इस हमले ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी। आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, जिसे पाकिस्तान के समर्थन से अंजाम दिया गया था। इस घटना ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए, लेकिन साथ ही सरकार और सेना की त्वरित कार्रवाई की मांग को और मजबूत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले के तुरंत बाद एक उच्चस्तरीय बैठक…
डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) दोनों देशों की सेनाओं में एक महत्वपूर्ण पद है, जो सैन्य रणनीतियों को तैयार करने और सीमा पर शांति बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। भारत में यह पद लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी संभालता है, जो सेना प्रमुख को सीधे रिपोर्ट करता है। वर्तमान में, भारत के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं, जो कुमाऊं रेजिमेंट से हैं और अक्टूबर 2024 से इस पद पर कार्यरत हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान के DGMO मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला चौधरी हैं, जिन्हें नवंबर 2023 में यह जिम्मेदारी सौंपी गई। DGMO का प्रमुख दायित्व सैन्य अभियानों…
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में एक भयानक आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध संगठन, द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली, हालांकि बाद में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के दबाव में वे अपने दावे से पीछे हट गए। इस हमले ने पूरे भारत में गुस्से और दुख की लहर पैदा कर दी। खासकर, एक तस्वीर ने देशवासियों का दिल दहला दिया, जिसमें एक नवविवाहिता अपने मृत पति के पास बैठी थी, उसके माथे का सिंदूर मिट चुका था और हाथों पर…
राजौरी और पुंछ के निवासियों के लिए विस्थापन कोई नई कहानी नहीं है। 1990 के दशक में, जब सीमा पर गोलीबारी और तनाव चरम पर था, हजारों परिवारों को अपने घर, खेत और यादें छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा। अब्दुल रशीद, एक किसान, जो कभी राजौरी के एक छोटे से गांव में अपने खेतों में काम करते थे, आज जम्मू के एक शरणार्थी शिविर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। वे बताते हैं, “हमारा गांव, जहां कभी मेले लगते थे और बच्चे गलियों में खेलते थे, एक रात में खामोश हो गया। गोलियों की आवाज और…
हमारे सैनिक केवल वर्दीधारी योद्धा नहीं हैं; वे भारत माता के सच्चे सपूत हैं। वे हमारे देश की आन, बान और शान के प्रतीक हैं। जब हम अपने घरों में सुकून से सोते हैं, जब हम अपने परिवारों के साथ उत्सव मनाते हैं, या जब हम अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करते हैं, तब हमारे सैनिक सीमाओं पर खड़े होकर हर खतरे का डटकर मुकाबला करते हैं। सियाचिन की बर्फीली चोटियों से लेकर थार के रेगिस्तान की तपती रेत तक, वे हर परिस्थिति में अडिग रहते हैं। उनका यह समर्पण और बलिदान ही हमें आज़ादी और सुरक्षा…