
डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) दोनों देशों की सेनाओं में एक महत्वपूर्ण पद है, जो सैन्य रणनीतियों को तैयार करने और सीमा पर शांति बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। भारत में यह पद लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी संभालता है, जो सेना प्रमुख को सीधे रिपोर्ट करता है। वर्तमान में, भारत के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं, जो कुमाऊं रेजिमेंट से हैं और अक्टूबर 2024 से इस पद पर कार्यरत हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान के DGMO मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला चौधरी हैं, जिन्हें नवंबर 2023 में यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
DGMO का प्रमुख दायित्व सैन्य अभियानों की रणनीति बनाना, युद्ध और शांति के समय सैन्य गतिविधियों का प्रबंधन करना, और सीमा पर तनाव को कम करने के लिए समकक्ष अधिकारियों के साथ संवाद स्थापित करना है। दोनों देशों के बीच 1971 के युद्ध के बाद स्थापित हॉटलाइन इस संवाद का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो नई दिल्ली और रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालयों को जोड़ती है। इस हॉटलाइन का उपयोग सीजफायर उल्लंघनों पर चर्चा, तनाव को नियंत्रित करने, और सैन्य कार्रवाइयों को समन्वयित करने के लिए किया जाता है।
हाल की घटनाओं का पृष्ठभूमि संदर्भ
पिछले कुछ महीनों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि देखी गई, खासकर जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों और नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी की घटनाओं के कारण। अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले ने स्थिति को और गंभीर बना दिया, जिसमें 25 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। इस हमले के जवाब में, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसके तहत 7 मई से 10 मई 2025 तक LoC और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य कार्रवाइयां की गईं।
इस ऑपरेशन के दौरान, भारतीय सेना ने 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया, जिनमें यूसुफ अजहर जैसे कुख्यात आतंकी शामिल थे। इसके अलावा, पाकिस्तान के 11 हवाई ठिकानों को नष्ट किया गया और लगभग 35-40 पाकिस्तानी सैनिकों की जान गई। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को तत्काल सीजफायर की मांग करने के लिए मजबूर किया। 10 मई 2025 को पाकिस्तानी DGMO ने भारतीय DGMO को हॉटलाइन पर संपर्क किया और उसी दिन शाम 5 बजे से सभी सैन्य गतिविधियां, गोलीबारी, और हवाई कार्रवाइयां रोकने पर सहमति बनी। हालांकि, कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों और गोलीबारी के जरिए सीजफायर का उल्लंघन किया, जिसका भारत ने कड़ा जवाब दिया।
इसके बाद, 12 मई 2025 को दोनों देशों के DGMO के बीच एक और बातचीत निर्धारित की गई। यह वार्ता दोपहर 12 बजे होनी थी, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण इसे शाम तक के लिए टाल दिया गया।
वार्ता के उद्देश्य
12 मई की DGMO वार्ता के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे:
- सीजफायर को स्थायी बनाना: दोनों देशों ने 10 मई को लागू हुए सीजफायर को मजबूत करने और इसके उल्लंघनों को रोकने के लिए उपायों पर चर्चा की। भारत ने स्पष्ट किया कि किसी भी उल्लंघन का जवाब सख्ती से दिया जाएगा।
- आतंकवाद पर नियंत्रण: भारत ने पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियों को रोकने और आतंकियों को पनाह देने वाली संरचनाओं को समाप्त करने की मांग की। भारत ने यह भी दोहराया कि जब तक पाकिस्तान आतंकियों को सौंपने के लिए तैयार नहीं होता, तब तक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) जैसे मुद्दे बातचीत का हिस्सा नहीं होंगे।
- सीमा पर शांति स्थापना: नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी और तनाव को कम करने के लिए प्रोटोकॉल को और मजबूत करने पर जोर दिया गया।
- सैन्य कार्रवाइयों की समीक्षा: ऑपरेशन सिंदूर के प्रभावों और परिणामों पर चर्चा हुई। भारत ने इसे आतंकवाद-विरोधी अभियान के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला करार दिया।
बातचीत की प्रक्रिया
DGMO स्तर की बातचीत एक सुरक्षित हॉटलाइन के माध्यम से होती है, जो संकट के समय संवाद का एकमात्र विश्वसनीय साधन है। यह हॉटलाइन साप्ताहिक आधार पर भी उपयोग की जाती है, जहां दोनों देशों के DGMO अधिकारी हर मंगलवार को LoC और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर स्थिति की समीक्षा करते हैं।
12 मई की वार्ता में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने हिस्सा लिया। तकनीकी समस्याओं के कारण यह वार्ता समय पर शुरू नहीं हो सकी और इसे शाम 5 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इस बीच, भारत में उच्च-स्तरीय बैठकों का दौर चला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल, तीनों सेना प्रमुखों, और विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ बैठक की, जिसमें वार्ता की रणनीति और भारत के दृष्टिकोण पर चर्चा हुई। भारत ने स्पष्ट किया कि यह केवल सैन्य स्तर की बातचीत होगी और कश्मीर या सिंधु जल संधि जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं होगी।
वार्ता के परिणाम
हालांकि वार्ता समय पर शुरू नहीं हो सकी, लेकिन इसके परिणामों की उम्मीदें सकारात्मक थीं। कुछ संभावित परिणाम निम्नलिखित हैं:
- सीजफायर की पुष्टि: दोनों देशों ने सीजफायर को बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने चेतावनी दी कि किसी भी उल्लंघन का जवाब तुरंत और सख्ती से दिया जाएगा।
- आतंकवाद पर भारत का रुख: भारत ने आतंकी ठिकानों को नष्ट करने और आतंकियों को सौंपने की मांग को दोहराया, जो भविष्य की वार्ताओं में भी केंद्रीय मुद्दा रहेगा।
- हॉटलाइन संवाद का विस्तार: दोनों देशों ने नियमित संवाद को और मजबूत करने पर सहमति जताई ताकि भविष्य में तनाव को तुरंत नियंत्रित किया जा सके।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस: भारतीय सेना ने वार्ता के बाद दोपहर 2:30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद, और एयर मार्शल एके भारती ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और सीजफायर की स्थिति पर जानकारी दी।
ऐतिहासिक संदर्भ
भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO स्तर की वार्ताओं का इतिहास 1971 के युद्ध के बाद शुरू हुआ, जब हॉटलाइन की स्थापना की गई। 1999 के कारगिल युद्ध, 2001 के संसद हमले, और 2019 के पुलवामा हमले के बाद भी ऐसी वार्ताएं हुईं। 2018 में, दोनों देशों ने 2003 के सीजफायर समझौते को पूरी तरह लागू करने पर सहमति जताई थी, लेकिन समय-समय पर उल्लंघन होते रहे हैं। हाल की वार्ता इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक सक्रिय सैन्य संघर्ष के बाद हुई और तनाव को कम करने में सफल रही।
भविष्य की संभावनाएं
DGMO स्तर की वार्ता दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और शांति स्थापित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, कई चुनौतियां अभी भी बाकी हैं:
- आतंकवाद: जब तक पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को पूरी तरह नहीं रोकता, भारत के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। भारत ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।
- सीजफायर उल्लंघन: बार-बार होने वाले सीजफायर उल्लंघन एक बड़ी चुनौती हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता होगी।
- राजनयिक संबंध: वर्तमान में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध सीमित हैं। DGMO वार्ता केवल सैन्य स्तर तक सीमित है, और व्यापक राजनयिक वार्ता के लिए समय लग सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: कुछ देशों ने मध्यस्थता की पेशकश की है, लेकिन भारत ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा करार देते हुए तीसरे पक्ष की भूमिका को खारिज किया है।
12 मई 2025 को होने वाली DGMO वार्ता ने भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद की प्रक्रिया को मजबूत किया। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी कठोर नीति को दोहराया, जबकि पाकिस्तान ने सीजफायर को बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई। भविष्य में, दोनों देशों को हॉटलाइन संवाद को और सुदृढ़ करना होगा ताकि तनाव को तुरंत नियंत्रित किया जा सके। साथ ही, पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे ताकि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो सकें। यह वार्ता न केवल सैन्य स्तर पर, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।