
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास दशकों पुराना है, जिसमें कश्मीर मुद्दा सबसे प्रमुख विवाद का केंद्र रहा है। 2025 में यह तनाव एक बार फिर तब बढ़ा जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इस घटना के बाद, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य कार्रवाई की। इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को निशाना बनाया गया।
जवाब में, पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव चरम पर पहुंच गया। इस स्थिति ने दोनों देशों के हवाई क्षेत्र को एक-दूसरे की एयरलाइंस के लिए बंद करने और भारत में 32 हवाई अड्डों को नागरिक उड़ानों के लिए अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया।
हवाई अड्डों का अस्थायी बंद होना
9 मई 2025 से 14 मई 2025 तक, भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों से 32 हवाई अड्डों को नागरिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया। इनमें श्रीनगर, जम्मू, लेह, अमृतसर, चंडीगढ़, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, राजकोट, भुज, जामनगर, धर्मशाला, बठिंडा, पठानकोट, शिमला, किशनगढ़, और कांडला जैसे हवाई अड्डे शामिल थे। ये हवाई अड्डे या तो भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट हैं या भारतीय वायु सेना के महत्वपूर्ण ठिकानों के पास स्थित हैं, जिसके कारण इन्हें सैन्य गतिविधियों के लिए आरक्षित रखा गया।
Airports Authority of India (AAI) ने इस दौरान Notices to Airmen (NOTAMs) जारी किए, जो विमानन हितधारकों को हवाई अड्डों के बंद होने की सूचना देते हैं। इस अवधि में इन हवाई अड्डों पर केवल सैन्य उड़ानों को अनुमति दी गई, जबकि नागरिक उड़ानें पूरी तरह से निलंबित रहीं। इस निर्णय का असर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर व्यापक रूप से पड़ा। प्रमुख भारतीय एयरलाइंस जैसे इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइसजेट, और अकासा एयर ने सैकड़ों उड़ानों को रद्द कर दिया। उदाहरण के लिए, इंडिगो ने 165 उड़ानों को रद्द किया, जबकि एयर इंडिया ने जम्मू, श्रीनगर, लेह, और अन्य गंतव्यों के लिए अपनी उड़ानों को निलंबित कर दिया।
हवाई अड्डों का फिर से खुलना
10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच एक अहम समझौता हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने सैन्य गतिविधियों और गोलीबारी को तत्काल रोकने पर सहमति जताई। इसके बाद, पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को सभी उड़ानों के लिए खोल दिया, हालांकि भारतीय एयरलाइंस के लिए यह अभी भी प्रतिबंधित रहा। भारत ने भी अपने हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी एयरलाइंस के लिए बंद रखा।
12 मई 2025 को, AAI ने घोषणा की कि 32 हवाई अड्डों पर नागरिक उड़ानों के लिए लगाए गए प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से हटा लिए गए हैं। AAI ने NOTAMs के माध्यम से इसकी जानकारी दी और कहा, “15 मई 2025 की सुबह 05:29 बजे तक बंद किए गए 32 हवाई अड्डों को अब नागरिक उड़ानों के लिए खोल दिया गया है। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी उड़ान की स्थिति की जानकारी एयरलाइंस से प्राप्त करें।”
हवाई अड्डों को चरणबद्ध तरीके से खोला गया। मुंबई फ्लाइट इन्फॉर्मेशन रीजन (FIR) के अंतर्गत आने वाले हवाई अड्डों, जैसे भुज, राजकोट, और जामनगर, ने सबसे पहले परिचालन शुरू किया। इसके बाद, श्रीनगर, जम्मू, लेह, चंडीगढ़, और अन्य हवाई अड्डों को भी खोल दिया गया।
यात्रियों और विमानन उद्योग पर प्रभाव
हवाई अड्डों के अस्थायी बंद होने से यात्रियों और विमानन उद्योग को भारी असुविधा हुई। सैकड़ों उड़ानों के रद्द होने से हजारों यात्री प्रभावित हुए। कई यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों या परिवहन साधनों का सहारा लेना पड़ा। उदाहरण के लिए, दिल्ली से न्यूयॉर्क और वैंकूवर जाने वाली उड़ानों को लंबे मार्गों से ले जाना पड़ा, जिसमें यूरोप में अतिरिक्त स्टॉपओवर शामिल थे। इससे उड़ान का समय 5-6 घंटे तक बढ़ गया।
एयरलाइंस को भी भारी वित्तीय नुकसान हुआ। लंबे मार्गों के कारण ईंधन खपत बढ़ी, जिससे परिचालन लागत में वृद्धि हुई। एयर इंडिया ने अनुमान लगाया कि यदि पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र एक साल तक बंद रहता, तो उसे लगभग 600 मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता था। उड़ान रद्दीकरण के कारण एयरलाइंस को यात्रियों को रिफंड या मुफ्त रीशेड्यूलिंग की सुविधा देनी पड़ी, जिसने उनकी वित्तीय स्थिति को और प्रभावित किया।
हवाई अड्डों के फिर से खुलने से यात्रियों और एयरलाइंस को राहत मिली है। हालांकि, उड़ान शेड्यूल को पुनर्गठित करने और यात्रियों को सूचित करने में कुछ समय लग सकता है।
सुरक्षा उपाय और भविष्य की तैयारियां
हवाई अड्डों के बंद होने के दौरान, भारत ने अपने सभी हवाई अड्डों पर सुरक्षा को उच्चतम स्तर पर बढ़ा दिया था। Bureau of Civil Aviation Security (BCAS) ने Secondary Ladder Point Checks (SLPC) को अनिवार्य किया, टर्मिनलों में आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगाई, और एयर मार्शल तैनात किए। ये उपाय कम से कम 18 मई 2025 तक लागू रहेंगे।
हवाई अड्डों के फिर से खुलने के बाद भी, सुरक्षा में कोई ढील नहीं दी गई है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी उड़ान से कम से कम तीन घंटे पहले हवाई अड्डे पर पहुंचें ताकि सुरक्षा जांच सुचारू रूप से हो सके।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और वैश्विक विमानन
भारत-पाकिस्तान तनाव का असर वैश्विक विमानन उद्योग पर भी पड़ा। पाकिस्तान ने 24 अप्रैल 2025 को अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय एयरलाइंस के लिए बंद कर दिया, जिसके जवाब में भारत ने 30 अप्रैल 2025 को अपने हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी एयरलाइंस के लिए बंद किया। इस पारस्परिक प्रतिबंध के कारण उड़ान समय और लागत में वृद्धि हुई। अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस, जैसे यूनाइटेड एयरलाइंस और कतर एयरवेज, ने भी वैकल्पिक मार्ग अपनाए, जिससे अरब सागर और ओमान के हवाई क्षेत्र में भीड़भाड़ बढ़ी।
32 हवाई अड्डों का फिर से खुलना भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच एक सकारात्मक कदम है। यह न केवल यात्रियों और विमानन उद्योग के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अपनी सुरक्षा और नागरिक सुविधाओं के बीच संतुलन बनाए रखने में सक्षम है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए दोनों देशों को कूटनीतिक बातचीत और विश्वास-निर्माण के उपायों पर ध्यान देना होगा। साथ ही, विमानन उद्योग को ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए बेहतर रणनीतियां तैयार करनी होंगी।