
मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है, जब ईरान ने इजरायल के खिलाफ जवाबी सैन्य कार्रवाई की। खबरों के अनुसार, ईरान ने इजरायल की ओर 100 से अधिक ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिससे क्षेत्र में युद्ध का खतरा और गहरा गया है। इस हमले के जवाब में इजरायल ने अपनी अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली, आयरन डोम, को सक्रिय कर दिया। यह घटना दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव का परिणाम मानी जा रही है।
हमले की पृष्ठभूमि
ईरान और इजरायल के बीच शत्रुता की जड़ें दशकों पुरानी हैं। दोनों देश एक-दूसरे को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मानते हैं। हाल के वर्षों में, इजरायल ने सीरिया में ईरान समर्थित बलों पर कई हवाई हमले किए, जिन्हें ईरान ने अपनी संप्रभुता पर हमला करार दिया। इसके अलावा, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर भी दोनों देशों के बीच तनाव रहा है। इजरायल और उसके सहयोगी देश, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की संभावना से चिंतित हैं, जबकि ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
हाल ही में, इजरायल पर एक हमले की जिम्मेदारी ईरान समर्थित समूहों ने ली थी, जिसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई की। इस घटनाक्रम ने ईरान को सीधे सैन्य हमले के लिए उकसाया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला ईरान की ओर से अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन और क्षेत्रीय प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश है।
ईरान का हमला: ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग
ईरान ने इस हमले में अत्याधुनिक ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया। ड्रोन हमले, जिन्हें आमतौर पर कम लागत वाले हथियार माना जाता है, बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने में सक्षम होते हैं। ये ड्रोन न केवल सस्ते होते हैं, बल्कि इनका पता लगाना और उन्हें नष्ट करना भी मुश्किल होता है। ईरान ने हाल के वर्षों में अपनी ड्रोन तकनीक को काफी उन्नत किया है, और यह हमला उसकी सैन्य क्षमता का एक स्पष्ट प्रदर्शन है।
सैन्य विश्लेषकों के अनुसार, ईरान ने इस हमले में शाहेद-136 जैसे ड्रोन का उपयोग किया, जो लंबी दूरी तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम हैं। इसके साथ ही, बैलिस्टिक मिसाइलों का उपयोग इजरायल के लिए एक बड़ा खतरा था, क्योंकि ये मिसाइलें उच्च गति और सटीकता के साथ लक्ष्य को नष्ट कर सकती हैं। हालांकि, इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली ने इनमें से कई हमलों को नाकाम कर दिया।
इजरायल की रक्षा: आयरन डोम का महत्व
इजरायल की आयरन डोम वायु रक्षा प्रणाली ने इस हमले को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयरन डोम एक ऐसी तकनीक है जो रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन जैसे हवाई हमलों को ट्रैक करके उन्हें हवा में ही नष्ट कर देती है। इस प्रणाली की सफलता दर 90% से अधिक मानी जाती है, जिसने इजरायल को कई बार बड़े नुकसान से बचाया है।
आयरन डोम ने ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने में अपनी प्रभावशीलता साबित की। इजरायल की सेना ने दावा किया कि अधिकांश ड्रोन और मिसाइलों को उनके हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले ही नष्ट कर दिया गया। हालांकि, कुछ मिसाइलें इजरायल के क्षेत्र में पहुंचीं, लेकिन इनसे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस हमले ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने इजरायल के प्रति अपनी पूर्ण समर्थन की पुष्टि की। अमेरिका ने कहा कि वह अपने सहयोगी देश की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। दूसरी ओर, रूस और चीन जैसे देशों ने इस हमले की निंदा करने के बजाय मध्य पूर्व में तनाव कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
क्षेत्रीय देशों, जैसे सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, ने भी इस हमले पर चिंता जताई। ये देश, जो ईरान के प्रभाव को कम करने के लिए इजरायल के साथ गुप्त रूप से सहयोग कर रहे हैं, इस घटना को क्षेत्रीय अस्थिरता के लिए खतरा मानते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
ईरान और इजरायल के बीच यह ताजा संघर्ष मध्य पूर्व में एक बड़े युद्ध की आशंका को बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दोनों देशों ने संयम नहीं बरता, तो यह संघर्ष अन्य देशों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। ईरान समर्थित समूह, जैसे लेबनान का हिजबुल्लाह, इस संघर्ष में शामिल हो सकते हैं, जो स्थिति को और जटिल करेगा।
दूसरी ओर, इजरायल की सैन्य और तकनीकी श्रेष्ठता उसे इस संघर्ष में बढ़त देती है। हालांकि, लगातार हमले और जवाबी कार्रवाइयां दोनों देशों के लिए आर्थिक और मानवीय संकट पैदा कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका इस तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण होगी।
भारत की स्थिति
भारत, जो मध्य पूर्व में अपनी कूटनीतिक और आर्थिक रुचियां रखता है, ने इस हमले पर संतुलित रुख अपनाया है। भारत ने दोनों देशों से बातचीत में संयम बरतने और शांति बहाल करने की अपील की है। भारत के लिए यह क्षेत्र न केवल ऊर्जा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वहां रहने वाले लाखों भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा भी एक प्रमुख चिंता है।
ईरान का इजरायल पर ड्रोन और मिसाइल हमला मध्य पूर्व में तनाव का एक नया अध्याय है। इस हमले ने न केवल दोनों देशों के बीच शत्रुता को उजागर किया है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा किया है। इजरायल की आयरन डोम प्रणाली ने इस हमले को रोकने में सफलता हासिल की, लेकिन भविष्य में इस तरह के और हमले होने की आशंका बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संकट का हल निकालने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता बहाल हो सके।