
हाल के दिनों में मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुँच गया है, जहाँ इजराइल और ईरान के बीच सैन्य टकराव ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। इजराइल ने ईरान की सैन्य क्षमता को कमजोर करने के लिए कई महत्वपूर्ण हमले किए हैं, जिनमें ईरानी सेना के वरिष्ठ कमांडरों को निशाना बनाना और इस्फहान में मौजूद एक कथित परमाणु स्थल पर हमला शामिल है। इस बीच, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल के पक्ष में बयान देते हुए कहा है कि इजराइल इस संघर्ष में जीत हासिल कर रहा है और उसे रोकना संभव नहीं है। इस लेख में हम इस तनाव की पृष्ठभूमि, हाल की घटनाओं, और इसके वैश्विक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
इजराइल और ईरान के बीच तनाव की जड़ें
इजराइल और ईरान के बीच तनाव की शुरुआत कई दशकों पहले हो चुकी थी। दोनों देशों के बीच वैचारिक और सामरिक मतभेद इस क्षेत्र में लगातार टकराव का कारण बने हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद से, उसने इजराइल के खिलाफ एक कट्टर रुख अपनाया है, जिसे वह क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा मानता है। दूसरी ओर, इजराइल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है।
इजराइल ने बार-बार दावा किया है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम सैन्य उद्देश्यों के लिए है, न कि शांतिपूर्ण ऊर्जा उत्पादन के लिए, जैसा कि ईरान का दावा है। इस डर ने इजराइल को ईरान के परमाणु स्थलों और सैन्य ठिकानों पर हमले करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, ईरान द्वारा समर्थित क्षेत्रीय संगठन, जैसे हिजबुल्लाह और हमास, इजराइल के खिलाफ सक्रिय हैं, जो इस तनाव को और बढ़ाते हैं।
हाल की सैन्य कार्रवाइयाँ
हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, इजराइल ने ईरान की सैन्य क्षमता को कमजोर करने के लिए कई सटीक और घातक हमले किए हैं। इनमें से सबसे उल्लेखनीय है ईरानी सेना के तीन वरिष्ठ कमांडरों की हत्या। ये कमांडर ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के महत्वपूर्ण सदस्य थे, जो क्षेत्र में ईरान की सैन्य रणनीति को लागू करने में अहम भूमिका निभाते थे। इजराइली हमलों की सटीकता और गुप्तता ने एक बार फिर उसकी खुफिया और सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया है।
इसके अलावा, इजराइल ने इस्फहान में मौजूद एक परमाणु स्थल पर हमला किया, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इस हमले ने न केवल ईरान की सैन्य क्षमता को नुकसान पहुँचाया, बल्कि यह भी संदेश दिया कि इजराइल ईरान के परमाणु महत्वाकांक्षाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा। हालांकि, ईरान ने इस हमले की पुष्टि नहीं की है और इसे इजराइली प्रचार का हिस्सा बताया है।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
इन हमलों ने वैश्विक समुदाय में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल का समर्थन करते हुए कहा कि वह इस संघर्ष में जीत हासिल कर रहा है और उसे रोकना असंभव है। ट्रम्प का यह बयान उनके कार्यकाल के दौरान इजराइल के प्रति अपनाई गई नीति के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी और ईरान के साथ परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया था।
दूसरी ओर, कई यूरोपीय देशों और संयुक्त राष्ट्र ने इस तनाव को कम करने की अपील की है। उनका मानना है कि सैन्य कार्रवाइयाँ क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा सकती हैं। रूस और चीन, जो ईरान के सहयोगी माने जाते हैं, ने इजराइल की कार्रवाइयों की निंदा की है और इसे क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताया है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
इजराइल और ईरान के बीच यह टकराव केवल द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरे मध्य पूर्व और वैश्विक राजनीति पर पड़ रहा है। क्षेत्रीय स्तर पर, यह तनाव सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य सुन्नी बहुल देशों को प्रभावित कर रहा है, जो ईरान के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं। ये देश इजराइल के साथ गुप्त रूप से सहयोग कर रहे हैं, जिससे क्षेत्रीय गठजोड़ में बदलाव आ रहा है।
वैश्विक स्तर पर, यह तनाव तेल की कीमतों और ऊर्जा आपूर्ति पर असर डाल सकता है। मध्य पूर्व में तेल उत्पादन और निर्यात के लिए महत्वपूर्ण जलमार्ग, जैसे होर्मुज स्ट्रेट, इस तनाव के कारण प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, यह तनाव अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच नीतिगत मतभेदों को भी उजागर कर रहा है, विशेष रूप से ईरान के परमाणु समझौते को पुनर्जनन देने के मुद्दे पर।
भविष्य की संभावनाएँ
इजराइल और ईरान के बीच यह टकराव निकट भविष्य में कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। इजराइल की नीति स्पष्ट है कि वह ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए किसी भी हद तक जाएगा। दूसरी ओर, ईरान अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इस स्थिति में, दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष सैन्य टकराव की संभावना बढ़ रही है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा है।
हालांकि, कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से इस तनाव को कम करने की संभावना अभी भी मौजूद है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका और यूरोपीय संघ, को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नए सिरे से बातचीत और क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे की स्थापना इस तनाव को कम करने में मदद कर सकती है।
इजराइल और ईरान के बीच हाल का तनाव मध्य पूर्व में अस्थिरता का एक नया अध्याय है। इजराइल की सैन्य कार्रवाइयाँ, विशेष रूप से ईरानी कमांडरों की हत्या और इस्फहान परमाणु स्थल पर हमला, ने इस टकराव को और गहरा कर दिया है। वैश्विक प्रतिक्रियाएँ इस मुद्दे पर विभाजित हैं, जहाँ कुछ देश इजराइल का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इस तनाव को कम करने की अपील कर रहे हैं। इस स्थिति का क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव गहरा है, और इसका समाधान केवल कूटनीति और संयम के माध्यम से ही संभव है। मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता के लिए सभी पक्षों को संवाद और सहयोग की दिशा में कदम उठाने होंगे।