
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का ताजा दौर 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले से शुरू हुआ। इस हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई, और इसे लश्कर-ए-ताइबा जैसे आतंकी संगठनों से जोड़ा गया, जिन्हें भारत के अनुसार पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है। इस हमले के जवाब में, भारत ने 7 मई 2025 को “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ, और मुदासिर अहमद जैसे बड़े आतंकी शामिल थे, जो 1999 के IC-814 अपहरण और 2019 के पुलवामा हमले में शामिल थे।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की रणनीति और प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का एक मजबूत प्रदर्शन था। भारतीय वायुसेना ने सटीक हवाई हमले किए, जिसमें पाकिस्तान के 11 हवाई अड्डों को नष्ट किया गया और आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया गया। भारतीय सेना के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि इस ऑपरेशन में “पूर्ण आश्चर्य” का तत्व हासिल किया गया, जिसने भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता को उजागर किया। इस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा पर तीव्र गोलीबारी और ड्रोन हमले भी हुए, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तानी सेना के 35-40 कर्मियों की मौत हुई।
यह ऑपरेशन न केवल सैन्य दृष्टिकोण से सफल रहा, बल्कि इसने भारत की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ नीति को भी रेखांकित किया। देश भर में इस ऑपरेशन की व्यापक प्रशंसा हुई, और इसे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक माना गया।
युद्धविराम समझौता और उसका उल्लंघन
10 मई 2025 को, दोनों देशों के DGMO के बीच बातचीत के बाद एक युद्धविराम समझौता हुआ। इस समझौते में दोनों पक्षों ने जमीनी, हवाई, और समुद्री सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमति जताई। यह समझौता पाकिस्तानी DGMO मेजर जनरल काशिफ चौधरी और भारतीय DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के बीच टेलीफोनिक बातचीत के बाद हुआ। विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने इसकी पुष्टि की और बताया कि दोनों देशों के DGMO 12 मई को दोपहर 12 बजे फिर से बात करेंगे।
हालांकि, इस समझौते के कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में सीमा पार गोलीबारी और ड्रोन घुसपैठ करके युद्धविराम का उल्लंघन किया। भारतीय सेना ने इसका कड़ा जवाब दिया और कई ड्रोनों को नष्ट कर दिया। विदेश सचिव मिश्री ने इस उल्लंघन को “अत्यंत निंदनीय” बताया और कहा कि भारतीय सेना को किसी भी उकसावे का जवाब देने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है।
DGMO बैठक का स्थगन और महत्व
12 मई 2025 को सुबह यह घोषणा की गई कि DGMO बैठक, जो पहले दोपहर 12 बजे निर्धारित थी, अब शाम 5 बजे होगी। इस स्थगन का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों पक्षों को इस महत्वपूर्ण चर्चा के लिए और समय चाहिए। यह बैठक युद्धविराम समझौते को मजबूत करने और तनाव को कम करने के लिए अहम मानी जा रही है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान युद्धविराम का पालन करे और कोई उकसावे वाली कार्रवाई न करे।
प्रधानमंत्री मोदी की उच्च-स्तरीय बैठक
DGMO बैठक से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर एक उच्च-स्तरीय बैठक की, जिसमें देश के शीर्ष सैन्य और नागरिक नेतृत्व शामिल था। इस बैठक में ऑपरेशन सिंदूर के परिणामों, युद्धविराम उल्लंघन, और आगामी DGMO बैठक की रणनीति पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों को निर्देश दिया कि वे किसी भी आक्रामकता का जवाब दृढ़ता से दें। उन्होंने कहा, “हमारी प्रतिक्रिया आतंकवाद के खिलाफ हमेशा कठोर और बिना समझौता वाली होगी।”
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तान के साथ केवल DGMO स्तर पर बातचीत करेगा। कश्मीर और सिंधु जल संधि जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं होगी। भारत का रुख है कि कश्मीर पर केवल एक ही मुद्दा बाकी है – पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का भारत को वापस लौटाना। इसके साथ ही, भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश को ठुकरा दिया, यह कहते हुए कि इस मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की आवश्यकता नहीं है।
जनता और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य शक्ति और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कहा कि इस ऑपरेशन ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। हालांकि, विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस ने युद्धविराम और ऑपरेशन पर सवाल उठाए। कांग्रेस ने एक होर्डिंग लगाया, जिसमें लिखा था, “इंदिरा गांधी होना आसान नहीं है,” और 1971 के युद्ध का जिक्र करते हुए दावा किया कि भारत ने अमेरिकी दबाव में युद्धविराम स्वीकार किया। कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक और संसद के विशेष सत्र की मांग की है।
जम्मू-कश्मीर और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। भारतीय सेना ने बताया कि 11 मई की रात शांतिपूर्ण रही, और कोई उल्लंघन नहीं हुआ। बारमेर और जैसलमेर जैसे क्षेत्रों में बाजार फिर से खुल गए हैं, लेकिन कई सीमावर्ती जिलों में स्कूल और कॉलेज अभी भी बंद हैं।
DGMO बैठक के संभावित परिणाम
आज शाम होने वाली DGMO बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है:
- युद्धविराम का पालन: भारत यह सुनिश्चित करना चाहेगा कि पाकिस्तान युद्धविराम का पूरी तरह पालन करे।
- आतंकी गतिविधियों पर रोक: भारत पाकिस्तान से आतंकी संगठनों को समर्थन बंद करने की मांग करेगा।
- सीमा पर शांति: दोनों देश दीर्घकालिक शांति स्थापित करने के उपायों पर विचार करेंगे।
- सैन्य कार्रवाइयों की समीक्षा: पिछले कुछ दिनों की कार्रवाइयों की समीक्षा और भविष्य में टकराव से बचने के उपाय।
भविष्य की संभावनाएं
भारत-पाकिस्तान संबंधों का इतिहास तनाव और टकराव से भरा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति को मजबूत किया, लेकिन यह भी दिखाया कि सैन्य टकराव आसानी से बढ़ सकता है। DGMO बैठक एक सकारात्मक कदम है, लेकिन दीर्घकालिक शांति के लिए दोनों पक्षों को विश्वास-निर्माण के उपाय करने होंगे। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई में कोई कमी नहीं करेगा, जबकि पाकिस्तान के लिए यह अवसर है कि वह अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करे।
DGMO बैठक दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। भारत की रणनीति स्पष्ट है – वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य क्षमता को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है। अब यह देखना बाकी है कि क्या यह बैठक सीमा पर स्थायी शांति की दिशा में एक कदम साबित होगी।की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगी, या फिर यह तनाव का एक और दौर शुरू करेगी।