
हाल के महीनों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव ने एक नया और गंभीर मोड़ ले लिया है। सीमा पर बढ़ती उकसावे की घटनाएं, आतंकी हमले, और सैन्य कार्रवाइयों ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल बना दिया है। इस संदर्भ में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के प्रमुखों, और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की। यह बैठक भारत की रणनीतिक और कूटनीतिक नीतियों को मजबूत करने और पाकिस्तान की आक्रामकता का जवाब देने के लिए आयोजित की गई। यह लेख भारत-पाकिस्तान तनाव के कारणों, बैठक के महत्व, और भविष्य की संभावनाओं पर एक विस्तृत और मूल विश्ल Breach of ceasefire by Pakistan on the same day further deepened the trust deficit. The article also examines the historical context, current dynamics, and future challenges in India-Pakistan relations.
पृष्ठभूमि और संदर्भ
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भयावह आतंकी हमले ने भारत को गहरे सदमे में डाल दिया। इस हमले में 26 नागरिक, मुख्य रूप से पर्यटक, मारे गए। आतंकियों ने विशेष रूप से गैर-मुस्लिम पर्यटकों को निशाना बनाया, जिससे इस हमले ने धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं को भी आहत किया। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर डाली गई, जिन्हें लंबे समय से पाकिस्तान से समर्थन मिलने का आरोप है। इस घटना ने भारत में व्यापक आक्रोश पैदा किया और सरकार पर निर्णायक कार्रवाई का दबाव बढ़ा।
इसके जवाब में, भारत ने कई कठोर कदम उठाए। कूटनीतिक स्तर पर, भारत ने इंडस जल संधि को निलंबित करने, अटारी सीमा क्रॉसिंग को बंद करने, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने जैसे कदम उठाए। सैन्य स्तर पर, भारत ने 7 मई 2025 को “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। इन हमलों का उद्देश्य आतंकी ढांचे को नष्ट करना था, और भारत ने इसे एक सीमित और गैर-विस्तारवादी कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत किया।
हालांकि, पाकिस्तान ने 8 और 9 मई को ड्रोन और मिसाइल हमलों के साथ जवाबी कार्रवाई की, जिसमें भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की गई। भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने इन हमलों को काफी हद तक नाकाम कर दिया, लेकिन इसने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। इसी संदर्भ में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 और 10 मई 2025 को उच्च-स्तरीय बैठकों की अध्यक्षता की, जिसमें रक्षा और सुरक्षा से जुड़े शीर्ष अधिकारी शामिल थे।
उच्च-स्तरीय बैठक: उद्देश्य और चर्चा
नई दिल्ली में 7, लोक कल्याण मार्ग पर आयोजित इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य भारत की रक्षा तैयारियों की समीक्षा करना और पाकिस्तान की आक्रामकता का जवाब देने के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करना था। सूत्रों के अनुसार, बैठक में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई:
1. पाकिस्तान की आक्रामकता का विश्लेषण
पाकिस्तान ने 8 और 9 मई को भारत के 26 ठिकानों पर ड्रोन हमले किए, जिनमें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, और गुजरात के क्षेत्र शामिल थे। इन हमलों में कुछ नागरिक हताहत हुए, हालांकि भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने प्रमुख हवाई अड्डों और सैन्य ठिकानों की सुरक्षा सुनिश्चित की। बैठक में इन हमलों की तकनीकी प्रकृति, उनके पीछे के इरादों, और भारत की रक्षा प्रणालियों की प्रभावशीलता का विश्लेषण किया गया। यह माना गया कि पाकिस्तान ने इन हमलों के जरिए भारत की वायु रक्षा प्रणाली का परीक्षण करने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की।
2. जवाबी कार्रवाई की रणनीति
पहलगाम हमले के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों को “पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता” प्रदान की थी, जिसका अर्थ है कि सेना को हमले का समय, स्थान, और तरीका चुनने की स्वतंत्रता थी। बैठक में संभावित सैन्य कार्रवाइयों पर विचार-विमर्श किया गया। 10 मई को भारत ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी में चार हवाई अड्डों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिनमें नूर खान एयर बेस भी शामिल था। इन हमलों को सटीक और सीमित रखने पर जोर दिया गया ताकि व्यापक युद्ध की स्थिति से बचा जा सके।
3. सैन्य तैयारियों की समीक्षा
तीनों सेनाओं की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की गई। भारतीय वायुसेना ने अपनी S-400 वायु रक्षा प्रणाली का प्रभावी उपयोग किया, जिसने पाकिस्तानी ड्रोनों को नष्ट किया। नौसेना ने अरब सागर में अपनी स्थिति को मजबूत किया, और थल सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर अपनी तैनाती बढ़ाई। रक्षा उत्पादन इकाइयों को आपातकालीन उत्पादन के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए।
4. कूटनीतिक समन्वय
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई देशों, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, सऊदी अरब, और रूस, को अपनी कार्रवाइयों के बारे में जानकारी दी। NSA अजीत डोभाल ने अपने समकक्षों से बातचीत की और भारत की कार्रवाइयों को “नियंत्रित और आत्मरक्षात्मक” बताया। वैश्विक समुदाय के समर्थन को बनाए रखने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को और तेज करने पर जोर दिया गया।
5. नागरिक सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता
पाकिस्तानी हमलों के कारण जम्मू, सांबा, और अमृतसर जैसे क्षेत्रों में ब्लैकआउट लागू किए गए। बैठक में नागरिक सुरक्षा उपायों, जैसे कि हवाई हमले की चेतावनियों और आपातकालीन निकासी योजनाओं, की समीक्षा की गई। गृह मंत्रालय को सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने और आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की जड़ें 1947 के विभाजन से जुड़ी हैं, जब कश्मीर दोनों देशों के बीच विवाद का प्रमुख कारण बन गया। 1947, 1965, 1971, और 1999 में दोनों देशों के बीच युद्ध हो चुके हैं। इसके अलावा, नियंत्रण रेखा पर समय-समय पर संघर्षविराम उल्लंघन होते रहते हैं। हाल के दशकों में, 2008 के मुंबई हमले, 2016 के उरी हमले, और 2019 के पुलवामा हमले जैसे आतंकी हमलों ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ाया है। भारत ने इन हमलों के जवाब में 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट हवाई हमले किए। ऑपरेशन सिंदूर को इसी तरह की कार्रवाइयों की कड़ी में देखा जा सकता है।
वर्तमान तनाव के कारण और प्रभाव
पहलगाम आतंकी हमला इस तनाव का तात्कालिक कारण रहा, जिसे भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जोड़ा। इस हमले ने जनता में आक्रोश पैदा किया और सरकार पर कठोर कार्रवाई का दबाव बढ़ाया। भारत ने न केवल सैन्य कार्रवाई की, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश की।
पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और मिसाइल हमलों ने स्थिति को और जटिल बना दिया। इन हमलों का उद्देश्य भारत की रक्षा प्रणालियों का परीक्षण करना और भारत को उकसाना हो सकता है। हालांकि, भारत की मजबूत जवाबी कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत किसी भी आक्रामकता का कड़ा जवाब देगा।
इस तनाव का प्रभाव दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ रहा है। भारत में सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोग भय के माहौल में हैं, और कई राज्यों ने अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा है। पाकिस्तान में भी हवाई क्षेत्र को बंद करने और सैन्य ठिकानों पर हमलों के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है।
भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का समाधान निकट भविष्य में मुश्किल लगता है। 10 मई 2025 को अमेरिका की मध्यस्थता से एक सशर्त संघर्षविराम की घोषणा हुई थी, लेकिन पाकिस्तान ने इसे उसी दिन तोड़ दिया। इससे दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी और गहरी हो गई।
भारत के सामने कई चुनौतियां हैं:
- सैन्य संतुलन: भारत को अपनी सैन्य कार्रवाइयों को सटीक और सीमित रखना होगा ताकि व्यापक युद्ध से बचा जा सके।
- आंतरिक सुरक्षा: आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए खुफिया तंत्र को और मजबूत करना होगा।
- कूटनीतिक समर्थन: भारत को वैश्विक समुदाय के समर्थन को बनाए रखने के लिए अपनी स्थिति को तार्किक रूप से प्रस्तुत करना होगा।
- आर्थिक स्थिरता: लंबे समय तक तनाव भारत की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है।
पाकिस्तान भी आर्थिक संकट और आंतरिक अस्थिरता के कारण लंबे समय तक सैन्य टकराव को बरकरार नहीं रख सकता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम की उच्च-स्तरीय बैठक भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाती है। ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की कार्रवाइयां भारत की “शून्य सहिष्णुता” नीति को रेखांकित करती हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर सावधानीपूर्वक कदम उठाने की जरूरत है। भारत ने अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया है, लेकिन वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए यह जरूरी है कि दोनों देश बातचीत के रास्ते पर लौटें। इस बीच, भारत की सशस्त्र सेनाएं और सुरक्षा एजेंसियां किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।