
भारत सरकार ने ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों, को सुरक्षित वापस लाने के लिए एक विशेष अभियान, ऑपरेशन सिंधु, शुरू किया है। यह अभियान ऐसे समय में शुरू किया गया है जब ईरान में बढ़ते तनाव और अस्थिरता के कारण वहां रह रहे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। इस अभियान के तहत पहला जत्था, जिसमें ज्यादातर छात्र शामिल हैं, आज रात भारत पहुंचने वाला है। यह लेख ऑपरेशन सिंधु के महत्व, इसके कार्यान्वयन, और भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालता है।
ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत और इसका उद्देश्य
ईरान में हाल के महीनों में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता ने भारतीय नागरिकों, विशेषकर वहां पढ़ाई करने वाले छात्रों, के लिए खतरे की स्थिति पैदा कर दी है। इन परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत की। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य ईरान में रह रहे भारतीयों को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से वापस लाना है।
ऑपरेशन सिंधु का नाम भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से प्रेरित है। सिंधु नदी, जो प्राचीन भारतीय सभ्यता का प्रतीक है, इस अभियान के नाम के रूप में चुनी गई ताकि यह संदेश दिया जा सके कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार है। इस अभियान में भारतीय विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, और अन्य सरकारी एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी भारतीय नागरिक संकट में न फंसे।
ऑपरेशन सिंधु का कार्यान्वयन
ऑपरेशन सिंधु को लागू करने के लिए भारत सरकार ने एक बहु-स्तरीय रणनीति अपनाई है। इस अभियान में शामिल प्रमुख पहलुओं में शामिल हैं:
- सूचना संग्रहण और समन्वय: भारतीय दूतावास ने ईरान में रह रहे भारतीय नागरिकों की जानकारी एकत्र की। इसके लिए एक विशेष हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया गया, जहां भारतीय नागरिक अपनी जानकारी दर्ज कर सकते हैं। अब तक हजारों भारतीयों, विशेषकर छात्रों, ने इस प्रक्रिया में पंजीकरण कराया है।
- विशेष उड़ानों की व्यवस्था: सरकार ने ईरान से भारत के लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था की है। भारतीय वायुसेना और निजी विमानन कंपनियों के सहयोग से ये उड़ानें संचालित की जा रही हैं। पहली उड़ान, जिसमें ज्यादातर छात्र शामिल हैं, आज रात नई दिल्ली पहुंचने वाली है।
- सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स: ईरान में भारतीय दूतावास स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर वहां मौजूद भारतीयों को हवाई अड्डों तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए काम कर रहा है। इसके लिए विशेष वाहनों और सुरक्षा बलों की व्यवस्था की गई है।
- चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता: भारत पहुंचने वाले नागरिकों के लिए हवाई अड्डों पर चिकित्सा सुविधाएं और मनोवैज्ञानिक सहायता की व्यवस्था की गई है। कई लोग तनावपूर्ण परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, और सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति ठीक रहे।
भारतीय छात्रों की स्थिति
ईरान में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं, खासकर चिकित्सा और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में। ये छात्र वहां की सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली की वजह से ईरान को पसंद करते हैं। हालांकि, हाल के तनावपूर्ण हालातों ने इन छात्रों के लिए चुनौतियां पैदा कर दी हैं। कई छात्रों ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई थी।
ऑपरेशन सिंधु के तहत इन छात्रों को प्राथमिकता दी जा रही है। भारतीय दूतावास ने विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय स्थापित किया है ताकि छात्रों को उनके शैक्षणिक दस्तावेज और अन्य जरूरी सामान के साथ सुरक्षित वापस लाया जा सके। इसके अलावा, सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि इन छात्रों की पढ़ाई में कम से कम व्यवधान हो। कई विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था की है ताकि छात्र भारत लौटने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
भारत सरकार का संदेश
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बयान में कहा, “हमारी सरकार अपने नागरिकों की安全 को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। ऑपरेशन सिंधु इस बात का प्रमाण है कि भारत अपने हर नागरिक के साथ खड़ा है, चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में हो।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार इस अभियान को तब तक जारी रखेगी जब तक कि सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित वापस न आ जाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अभियान की सराहना की और कहा कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। उन्होंने भारतीय दूतावास और अन्य एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई की प्रशंसा की।
ऑपरेशन सिंधु का ऐतिहासिक महत्व
ऑपरेशन सिंधु भारत के उन कई सफल निकासी अभियानों में से एक है, जिन्हें देश ने समय-समय पर संकटग्रस्त क्षेत्रों से अपने नागरिकों को निकालने के लिए चलाया है। चाहे वह यमन से ऑपरेशन राहत हो, इराक से ऑपरेशन सुरक्षित वापसी हो, या यूक्रेन से ऑपरेशन गंगा, भारत ने हमेशा अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। ऑपरेशन सिंधु भी इसी परंपरा का हिस्सा है, जो भारत की वैश्विक जिम्मेदारी और मानवीय मूल्यों को दर्शाता है।
चुनौतियां और समाधान
ऑपरेशन सिंधु को लागू करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ईरान में अस्थिरता के कारण वहां की बुनियादी सुविधाएं प्रभावित हुई हैं, जिससे लॉजिस्टिक्स में समस्याएं आ रही हैं। इसके अलावा, वहां मौजूद भारतीयों की सटीक संख्या और स्थान का पता लगाना भी एक जटिल प्रक्रिया है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने तकनीक का सहारा लिया है। डिजिटल पोर्टल और हेल्पलाइन के माध्यम से भारतीयों की जानकारी एकत्र की जा रही है। इसके साथ ही, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करके सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि अभियान सुचारू रूप से चले।
भविष्य की योजनाएं
ऑपरेशन सिंधु का पहला चरण आज रात पहली उड़ान के भारत पहुंचने के साथ पूरा होगा। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक कि सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित वापस न आ जाएं। इसके लिए और उड़ानों की योजना बनाई जा रही है, और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त संसाधनों का उपयोग किया जाएगा।
इसके अलावा, सरकार उन छात्रों के लिए विशेष योजनाएं बना रही है जो अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं। कई भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने इन छात्रों को अपने यहां स्थानांतरित करने की पेशकश की है। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि इन छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे।
ऑपरेशन सिंधु भारत सरकार की अपने नागरिकों के प्रति प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण है। यह अभियान न केवल भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और सक्षम राष्ट्र है। जैसे-जैसे पहला जत्था आज रात भारत पहुंचेगा, देशवासियों की निगाहें इस अभियान की सफलता पर टिकी हैं। यह न केवल एक निकासी अभियान है, बल्कि यह भारत की एकता, ताकत, और मानवीय मूल्यों का प्रतीक भी है।