
20 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 28 निर्दोष लोग अपनी जान गंवा बैठे। मृतकों में तीर्थयात्री, पर्यटक और स्थानीय निवासी शामिल थे। इस हमले ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी। आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, जिसे पाकिस्तान के समर्थन से अंजाम दिया गया था। इस घटना ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए, लेकिन साथ ही सरकार और सेना की त्वरित कार्रवाई की मांग को और मजबूत किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले के तुरंत बाद एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह शामिल थे। इस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई का निर्णय लिया गया। भारत ने तत्काल प्रभाव से सिंधु जल संधि के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने का फैसला किया, जिसे पाकिस्तान के खिलाफ एक मजबूत कूटनीतिक कदम माना गया। इसके साथ ही, भारतीय सेना को आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए एक गुप्त अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया, जिसे ‘ऑपरेशन रणविजय’ नाम दिया गया।
ऑपरेशन रणविजय: भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक
‘ऑपरेशन रणविजय’ भारतीय सेना और वायुसेना का एक संयुक्त अभियान था, जिसे 5 मई 2025 की रात शुरू किया गया। इस अभियान का उद्देश्य पाकिस्तान और पीओके में सक्रिय आतंकी ठिकानों को पूरी तरह नष्ट करना था। भारतीय वायुसेना ने अत्याधुनिक मिसाइलों जैसे ब्रह्मोस और पिनाका का उपयोग करते हुए मुरिदके, कोटली, भिंबर और मुजफ्फराबाद जैसे क्षेत्रों में आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया। इन ठिकानों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के प्रशिक्षण केंद्र शामिल थे, जो लंबे समय से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।
ऑपरेशन में 80 से 100 आतंकियों के मारे जाने की खबर है, जिसमें कई हाई-प्रोफाइल आतंकी कमांडर भी शामिल थे। भारतीय सेना ने यह सुनिश्चित किया कि हमले केवल आतंकी ढांचे पर केंद्रित हों, ताकि आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे। इस अभियान की सफलता ने भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक क्षमता को विश्व मंच पर प्रदर्शित किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ‘भारत की सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम’ करार दिया। विपक्षी दलों ने भी इस अभियान की सराहना की और सरकार के साथ एकजुटता व्यक्त की।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और युद्धविराम का उल्लंघन
ऑपरेशन रणविजय के बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की। उसने सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन हमले और गोलीबारी शुरू की, लेकिन भारत के S-400 सुदर्शन चक्र जैसे उन्नत वायु रक्षा तंत्र ने इन प्रयासों को विफल कर दिया। 8 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौता हुआ, जिसके तहत दोनों देशों ने सैन्य गतिविधियां रोकने पर सहमति जताई। हालांकि, पाकिस्तान ने उसी दिन पुंछ और राजौरी में गोलीबारी शुरू कर इस समझौते का उल्लंघन किया। भारतीय सेना ने इसका कड़ा जवाब दिया और सीमा पर अपनी स्थिति को और मजबूत किया।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता की कोशिश की। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्पष्ट किया कि ऑपरेशन रणविजय आतंकवाद के खिलाफ एक लक्षित कार्रवाई थी, न कि पाकिस्तानी सेना या नागरिकों के खिलाफ। उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और वैश्विक समुदाय से इसका संज्ञान लेने की मांग की।
पीओके: भारत का अभिन्न अंग
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत-पाकिस्तान संबंधों का एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है। भारत ने हमेशा से पीओके को अपना अभिन्न हिस्सा माना है। ऑपरेशन रणविजय ने पीओके में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर भारत की इस नीति को और मजबूती प्रदान की। इस अभियान ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति पर अडिग है। पीओके में आतंकी शिविरों की मौजूदगी और पाकिस्तान का इनका समर्थन भारत के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है।
भारत की जनता के बीच पीओके को वापस लेने की भावना तेजी से बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर ‘पीओके हमारा है’ जैसे नारे ट्रेंड कर रहे हैं, जो जनता की भावनाओं को दर्शाते हैं। हालांकि, पीओके का मुद्दा सैन्य, कूटनीतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से जटिल है। भारत ने वैश्विक मंचों पर यह स्पष्ट किया है कि वह पीओके में आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। ऑपरेशन रणविजय इस नीति का एक मजबूत प्रतीक है।
प्रधानमंत्री के संबोधन की अपेक्षाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज रात का संबोधन कई मायनों में ऐतिहासिक होने की उम्मीद है। यह पहला अवसर है जब वे ऑपरेशन रणविजय और युद्धविराम के बाद राष्ट्र को संबोधित करेंगे। उम्मीद है कि वे आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ नीति को और स्पष्ट करेंगे। वे पहलगाम हमले के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त कर सकते हैं और ऑपरेशन रणविजय को उनके लिए न्याय का प्रतीक बता सकते हैं।
इसके अलावा, पीओके के मुद्दे पर भारत की स्थिति को और मजबूती से रखने की संभावना है। वे यह बता सकते हैं कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को कैसे आगे बढ़ाएगा और पीओके में आतंकी ढांचे को खत्म करने के लिए क्या रणनीति अपनाएगा। राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक प्रयासों पर भी उनका जोर रह सकता है। साथ ही, वे देशवासियों से एकजुटता और संयम की अपील कर सकते हैं, ताकि अफवाहों और तनाव से बचा जा सके।
मोदी का संबोधन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक मजबूत संदेश होगा। वे पाकिस्तान को चेतावनी दे सकते हैं कि आतंकवाद को समर्थन देने की नीति को तत्काल बंद करना होगा, अन्यथा भारत और सख्त कदम उठाने से नहीं हिचकेगा। यह संबोधन भारत की जनता और वैश्विक समुदाय दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश होगा।
‘ऑपरेशन रणविजय’ ने भारत की सैन्य ताकत और आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ता को विश्व मंच पर प्रदर्शित किया है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने जिस त्वरित और सटीक कार्रवाई की, उसने आतंकियों और उनके समर्थकों को स्पष्ट संदेश दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज का संबोधन इस घटनाक्रम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होगा। यह न केवल भारत की नीति को स्पष्ट करेगा, बल्कि देशवासियों में एकता और विश्वास को भी मजबूत करेगा। भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में पूरी तरह से सक्षम और प्रतिबद्ध है, और इस दिशा में हर कदम पर वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को प्राथमिकता देगा।