
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भयावह आतंकी हमले ने भारत को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 पर्यटकों की जान गई, जिसमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। इसे 26/11 मुंबई हमले के बाद सबसे घातक आतंकी घटना माना गया। आतंकियों ने धार्मिक आधार पर पुरुषों को निशाना बनाया और महिलाओं को यह संदेश देने के लिए छोड़ा कि वे भारत सरकार को इस हमले की सूचना दें। इस घटना ने न केवल भारत में आक्रोश पैदा किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी आकर्षित किया। जवाब में, भारत ने 6-7 मई 2025 की रात “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जिसने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इस लेख में हम इन 19 दिनों की घटनाओं को विस्तार से समझेंगे और भारत की आतंकवाद विरोधी नीति पर प्रकाश डालेंगे।
पहलगाम हमला: आतंक का काला दिन
पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटकों के बीच लोकप्रियता के लिए जाना जाता है, 22 अप्रैल 2025 को आतंक का शिकार बना। बैसारन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों के एक समूह पर हमला किया। उन्होंने धर्म पूछकर 26 पुरुषों को निशाना बनाया और सिर व सीने में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। महिलाओं और बच्चों को यह कहकर छोड़ दिया गया कि वे भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस हमले का संदेश दें। इस हमले का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाना और क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करना था।
पिछले वर्ष 2.25 करोड़ पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था, जिससे यह क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध हो रहा था। आतंकी संगठन, जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा, इस प्रगति को बाधित करना चाहते थे। जांच से पता चला कि हमलावरों को पाकिस्तान से निर्देश मिल रहे थे, और इस हमले की साजिश वहां रची गई थी। इस घटना ने भारत में व्यापक जनआक्रोश को जन्म दिया, और लोगों ने आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
भारत की प्रारंभिक प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले के बाद भारत ने त्वरित और समन्वित कार्रवाई शुरू की। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), भारतीय सेना, और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) ने हमलावरों की पहचान और उनके ठिकानों का पता लगाने के लिए काम शुरू किया। खुफिया जानकारी के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, और द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जैसे संगठनों का हाथ था।
भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी सक्रियता दिखाई। संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति के समक्ष आतंकी संगठनों के खिलाफ सबूत पेश किए गए। पाकिस्तान ने इन संगठनों को सूची से हटाने का दबाव बनाया, लेकिन भारत ने इसका कड़ा विरोध किया। इस दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ कई उच्च-स्तरीय बैठकें कीं। इन बैठकों में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह हमला भारत की संप्रभुता और सांस्कृतिक एकता पर प्रहार था। इस ऑपरेशन को “सिंदूर” नाम दिया गया, जो आतंकियों द्वारा महिलाओं के सुहाग को नष्ट करने के प्रतीक के जवाब में था।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस हमले की गंभीरता से अवगत कराया। अमेरिका, ब्रिटेन, और अन्य सहयोगी देशों ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का समर्थन किया। इस बीच, खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों की सटीक जानकारी इकट्ठा की, जो ऑपरेशन सिंदूर की नींव बनी।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ सटीक कार्रवाई
6-7 मई 2025 की रात भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जो एक त्रि-सेवा मिशन था। इस ऑपरेशन में थल सेना, नौसेना, और वायुसेना ने समन्वय के साथ काम किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में और प्रधानमंत्री मोदी की निगरानी में यह ऑपरेशन केवल 25 मिनट में पूरा हुआ।
ऑपरेशन की मुख्य विशेषताएँ:
- समय: 1:05 बजे से 1:30 बजे तक, कुल 25 मिनट।
- लक्ष्य: 9 आतंकी ठिकाने, जिनमें 4 पाकिस्तान (कोटली, बहावलपुर, मुरीदके, आदि) और 5 PoK (मुज़फ्फराबाद, सियालकोट, आदि) में थे।
- हथियार: सटीक हथियारों और लोइटरिंग मुनिशन का उपयोग, जिससे नागरिक हताहतों से बचा गया।
- परिणाम: 90-250 आतंकियों के मारे जाने की खबर, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के कई रिश्तेदार शामिल थे।
ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, और हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों को नष्ट किया गया। इन संगठनों ने 26/11 मुंबई हमले, 2016 उरी हमले, और 2019 पुलवामा हमले जैसे कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था। भारतीय सेना ने स्पष्ट किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया, और यह कार्रवाई पूरी तरह आतंकियों के खिलाफ थी।
प्रेस ब्रीफिंग
7 मई को सुबह, विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी, और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने एक प्रेस ब्रीफिंग में ऑपरेशन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई पहलगाम नरसंहार का जवाब थी, और किसी भी नागरिक या सैन्य ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा। खुफिया एजेंसियों की सटीक जानकारी ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और तनाव
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे “कायराना” हमला करार दिया, जबकि भारत ने इसे आतंकवाद के खिलाफ आवश्यक कदम बताया। पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर पुंछ, राजौरी, और नौशेरा में भारी गोलाबारी शुरू की, जिसे 2021 के सीजफायर समझौते का उल्लंघन माना गया। भारत ने इसका जवाब दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत के हमलों में नागरिक मारे गए, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया और भारत ने इन दावों को खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने अपने कई हवाई अड्डों को बंद कर दिया और सीमा पर जेट विमानों को तैनात किया। इस दौरान, दोनों पक्षों के बीच ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिशें भी देखी गईं, जिन्हें भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया।
संघर्ष विराम और वर्तमान स्थिति
10 मई को दोनों देशों ने संघर्ष विराम की घोषणा की, लेकिन कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने फिर से गोलाबारी शुरू कर दी। पुंछ में एक गुरुद्वारे पर गोलीबारी की खबर ने स्थिति को और जटिल कर दिया। भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों को और मजबूत किया, और श्रीनगर व जैसलमेर में वायुसेना की गश्त बढ़ा दी गई। देशभर में सिविल डिफेंस ड्रिल की तैयारियां शुरू हुईं।
11 मई 2025 तक, भारत ने न केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि अपनी “जीरो टॉलरेंस” नीति को भी रेखांकित किया। ऑपरेशन सिंदूर को देशभर में सराहा गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने सेना की प्रशंसा की। सोशल मीडिया पर ऑपरेशन की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए, जिसने जनता का उत्साह बढ़ाया।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया। इन 19 दिनों में भारत ने अपनी सैन्य ताकत, कूटनीतिक कुशलता, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की क्षमता का प्रदर्शन किया। हालांकि, पाकिस्तान की आक्रामकता और सीजफायर उल्लंघन ने दक्षिण एशिया में शांति की चुनौतियों को उजागर किया। भविष्य में, भारत को अपनी सतर्कता बनाए रखनी होगी और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग बढ़ाना होगा। यह घटना न केवल भारत की एकता और संकल्प को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख अटल है।