
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास दशकों पुराना है, जो ऐतिहासिक, राजनीतिक और भौगोलिक कारणों से जटिल और गहरा रहा है। यह तनाव समय-समय पर विभिन्न रूपों में सामने आता रहा है, जिसमें सीमा पर गोलीबारी, आतंकी हमले और कूटनीतिक टकराव शामिल हैं। हाल ही में, अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने दोनों देशों के बीच तनाव को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इस हमले ने न केवल कश्मीर, बल्कि राजस्थान, पंजाब और गुजरात जैसे सीमावर्ती राज्यों में भी सुरक्षा स्थिति को प्रभावित किया। इस लेख में, हम इस तनाव के ऐतिहासिक संदर्भ, वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करेंगे, ताकि यह समझा जा सके कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों का भविष्य क्या हो सकता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: एक जटिल संबंध
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की जड़ें 1947 में दोनों देशों के विभाजन में निहित हैं। कश्मीर का मुद्दा इस तनाव का केंद्र बिंदु रहा है, जिसके कारण दोनों देशों ने कई युद्ध लड़े, जिनमें 1947, 1965, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध शामिल हैं। इसके अलावा, सीमा पर लगातार होने वाली गोलीबारी, आतंकी गतिविधियां और कूटनीतिक विवादों ने दोनों देशों के बीच अविश्वास को और गहरा किया है।
पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, ने भारत में कई आतंकी हमले किए, जिनमें 2001 का संसद हमला और 2008 का मुंबई हमला प्रमुख हैं। इन हमलों ने भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए मजबूर किया। दूसरी ओर, पाकिस्तान भारत पर कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है, जिसे भारत ने हमेशा खारिज किया है।
पहलगाम हमला: तनाव का नया अध्याय
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने दोनों देशों के बीच तनाव को फिर से भड़का दिया। इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें 26 लोग मारे गए और कई घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, जिसे लश्कर का सहयोगी संगठन माना जाता है। इस हमले ने कश्मीर में पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया और स्थानीय लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया।
हमले के बाद, भारतीय सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर 15 ठिकानों पर छापेमारी की। इन छापों में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से संचालित होने वाले आतंकी नेटवर्क के सबूत मिले। भारतीय सेना ने कश्मीर में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें कई आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस हमले ने न केवल सुरक्षा बलों को, बल्कि कश्मीर की जनता को भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रेरित किया।
भारत की जवाबी कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर
पहलगाम हमले के जवाब में, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख नेताओं सहित कई आतंकी मारे गए। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के चार प्रमुख एयरबेस—रावलपिंडी, चकवाल, शोरकोट और एक अन्य—को निशाना बनाया, जिससे पाकिस्तान के सैन्य ढांचे को गहरा नुकसान पहुंचा।
पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई के रूप में जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पंजाब और गुजरात में ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की, लेकिन भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने इन प्रयासों को नाकाम कर दिया। भारतीय सेना की त्वरित कार्रवाई ने यह सुनिश्चित किया कि पाकिस्तान की कोई भी चाल कामयाब न हो।
कश्मीर में स्थिति: तनाव के बीच सामान्यीकरण की कोशिश
पहलगाम हमले के बाद, कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। कुपवाड़ा, उरी और बारामूला में सीमा पार से गोलीबारी की घटनाएं बढ़ीं, लेकिन भारतीय सेना ने इसका कड़ा जवाब दिया। श्रीनगर में ब्लैकआउट और सायरन की आवाजें आम हो गईं, और स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश दिए गए।
हालांकि, कश्मीर में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। राजौरी, पुंछ और उधमपुर जैसे क्षेत्रों में ड्रोन गतिविधियों की कोई नई सूचना नहीं मिली है। डल झील पर पर्यटक फिर से लौटने लगे हैं, और स्थानीय व्यापारी आतंक के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। एक कश्मीरी व्यापारी ने कहा, “आतंकवाद ने हमें बहुत नुकसान पहुंचाया है। अब समय है कि हम एकजुट होकर इसका विरोध करें।”
राजस्थान, पंजाब और गुजरात: सीमावर्ती राज्यों में सतर्कता
पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में, राजस्थान के सीमावर्ती जिलों—जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और बीकानेर—में रेड अलर्ट घोषित किया गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश दिए। जैसलमेर और बाड़मेर में पाकिस्तानी मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया गया, और भारतीय सेना ने ड्रोन हमलों को नाकाम किया।
पंजाब में, सीमावर्ती गांवों में डर का माहौल रहा। स्कूल बंद कर दिए गए, और हवाई यात्राएं स्थगित कर दी गईं। पठानकोट में विस्फोटों की खबरें आईं, लेकिन सेना ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया। गुजरात के कच्छ में भी पाकिस्तानी ड्रोन हमले नाकाम किए गए, और सैन्य ठिकानों को सुरक्षित रखा गया।
पाकिस्तान की स्थिति: आर्थिक और सैन्य कमजोरी
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में है। महंगाई, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और सैन्य संसाधनों की कमी ने उसे कमजोर कर दिया है। डिफेंस विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के पास केवल सीमित समय तक युद्ध लड़ने की क्षमता बची है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने यूक्रेन को भारी मात्रा में गोला-बारूद बेचा, जिससे उसकी सैन्य ताकत और कमजोर हो गई।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने भारत को आक्रामक नीति छोड़ने की सलाह दी, लेकिन उनके दावों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने खारिज कर दिया। PoK में आतंकी शिविरों को खाली करने के निर्देश दिए गए हैं, और सीमा पर बम शेल्टर बनाए जा रहे हैं।
भारत की रणनीति: सैन्य और कूटनीतिक दबाव
भारत ने इस तनाव में अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत का प्रभावी उपयोग किया है। सिंधु जल संधि को निलंबित करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं, जिससे राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में सिंचाई को बढ़ावा मिलेगा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने पाकिस्तान को वित्तीय मदद देने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई, यह तर्क देते हुए कि पाकिस्तान इसका दुरुपयोग आतंकी गतिविधियों के लिए करता है।
जनता की आवाज: एकजुटता और गुस्सा
पहलगाम हमले के बाद, पूरे भारत में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा देखा गया। राजस्थान, जम्मू और कश्मीर में प्रदर्शन हुए, और लोग आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हुए। कश्मीर की जनता ने भी पर्यटकों पर हमले की निंदा की और शांति की अपील की।
वर्तमान में, भारत ने अपनी सैन्य और कूटनीतिक रणनीति से पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया है। कश्मीर और राजस्थान में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों देश बातचीत और सहयोग के रास्ते पर नहीं आए, तो स्थिति और जटिल हो सकती है।
हालांकि, भारत की मजबूत स्थिति और जनता की एकजुटता ने यह साबित कर दिया है कि देश किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। भविष्य में शांति और स्थिरता के लिए, दोनों देशों को अविश्वास को खत्म करने और सकारात्मक दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।