
भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराना तनाव समय-समय पर सैन्य कार्रवाइयों और जवाबी हमलों के रूप में सामने आता रहा है। मई 2025 में, भारत द्वारा शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर और इसके जवाब में पाकिस्तान द्वारा शुरू किया गया ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस इस तनाव का नवीनतम उदाहरण बनकर उभरा। इन दोनों सैन्य अभियानों ने न केवल दोनों देशों की सैन्य रणनीतियों और तकनीकी क्षमताओं को उजागर किया, बल्कि उनके कूटनीतिक दृष्टिकोण और वैश्विक प्रभाव को भी सामने लाया। यह लेख इन दोनों अभियानों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें उनकी पृष्ठभूमि, उद्देश्य, रणनीति, परिणाम और वैश्विक प्रभाव शामिल हैं। विशेष रूप से, यह इस बात पर जोर देता है कि कैसे भारत का ऑपरेशन सिंदूर एक रणनीतिक और कूटनीतिक सफलता के रूप में सामने आया, जबकि पाकिस्तान का ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस अपनी सीमाओं को उजागर करते हुए विफल रहा।
ऑपरेशन सिंदूर: पृष्ठभूमि और उद्देश्य
ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा 6-7 मई 2025 को शुरू किया गया एक सटीक हवाई सैन्य अभियान था, जिसका लक्ष्य पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था। इस अभियान का नाम 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले से प्रेरित था, जिसमें आतंकवादी संगठन प्रतिरोध मोर्चा ने 26 नागरिकों, मुख्य रूप से हिंदू पर्यटकों, की नृशंस हत्या कर दी थी। इस हमले में कई नवविवाहित पुरुषों की जान गई, जिसने उनकी पत्नियों के सिंदूर—भारतीय संस्कृति में वैवाहिक सौभाग्य के प्रतीक—को छीन लिया। इस भावनात्मक और सांस्कृतिक संदर्भ ने ऑपरेशन के नाम को गहरा अर्थ प्रदान किया, जो न केवल सैन्य कार्रवाई, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प का प्रतीक बन गया।
भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवादी संगठनों, विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा, के ठिकानों को निशाना बनाने वाली एक केंद्रित और सटीक कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत किया। भारत ने स्पष्ट किया कि इस अभियान में किसी भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा या नागरिक क्षेत्र को निशाना नहीं बनाया गया। भारतीय वायुसेना ने इस अभियान में राफेल लड़ाकू विमानों का उपयोग किया, जो SCALP मिसाइलों और AASM हैमर बमों से लैस थे। यह अभियान केवल 23 मिनट तक चला, लेकिन इसने नौ आतंकी ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया, जिसमें 70-100 आतंकवादी मारे गए।
भारत के रक्षा और विदेश मंत्रालय ने इस कार्रवाई को पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों को दंडित करने और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने की दिशा में एक कदम बताया। भारतीय सेना ने इसे सोशल मीडिया पर #PahalgamTerrorAttack के जवाब में “न्याय हुआ!” के नारे के साथ प्रचारित किया, जिसने जनता में व्यापक समर्थन हासिल किया।
पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई: ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में, पाकिस्तान ने इसे “युद्ध की कार्रवाई” करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने इसे नागरिक क्षेत्रों, विशेष रूप से मस्जिदों, पर हमला बताया और जवाबी कार्रवाई की घोषणा की। 10 मई 2025 को, पाकिस्तान ने ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस शुरू किया, जिसका नाम कुरान की सूरह अल-सफ की एक आयत से लिया गया है। इस आयत में “बुनयान उल मार्सूस” का अर्थ “लोहे या सीसे से बनी अभेद्य दीवार” है, जो एकजुटता और मजबूत रक्षा का प्रतीक है।
पाकिस्तान ने दावा किया कि यह अभियान भारत के सैन्य ठिकानों और रिहायशी इलाकों पर जवाबी हमला था। इस अभियान में फतह-1 बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन हमलों का उपयोग किया गया, जो मुख्य रूप से भारत के पंजाब और जम्मू-कश्मीर क्षेत्रों को निशाना बनाते थे। पाकिस्तानी सेना के इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने दावा किया कि भारत ने उनके तीन सैन्य अड्डों पर हमला किया था, और यह ऑपरेशन उसका जवाब था।
ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस की विफलता: 48 घंटों में उजागर हुई कमियां
पाकिस्तान का ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस शुरू होने के 48 घंटों के भीतर ही अपनी सीमाओं को उजागर कर गया। इसकी विफलता के कई कारण थे:
- भारत की मजबूत वायु रक्षा प्रणाली
भारत के उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम, जैसे कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें और अन्य रक्षा प्रणालियां, ने पाकिस्तान के अधिकांश ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया। श्रीनगर, जम्मू, सांबा और पठानकोट जैसे क्षेत्रों में धमाकों की आवाजें सुनाई दीं, लेकिन भारतीय सेना ने पाकिस्तानी ड्रोनों को मार गिराया और मिसाइल हमलों को विफल कर दिया। - रणनीतिक कमियां
पाकिस्तान के अभियान में सटीकता और समन्वय की कमी थी। जहां भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, वहीं पाकिस्तान ने रिहायशी इलाकों और सैन्य ठिकानों पर अंधाधुंध हमले करने की कोशिश की। इन हमलों से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, और कई मिसाइलें या तो अपने लक्ष्य तक पहुंची ही नहीं या भारतीय रक्षा प्रणालियों द्वारा नष्ट कर दी गईं। - पाकिस्तान के दावों की विश्वसनीयता पर सवाल
पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के कई सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया, लेकिन इन दावों का कोई ठोस सबूत नहीं मिला। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की कि ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस उतना प्रभावी नहीं था, जितना प्रचारित किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि युद्धविराम ने पाकिस्तान को और नुकसान से बचाया। - भारत की त्वरित जवाबी कार्रवाई
7-10 मई 2025 के बीच, भारत ने पाकिस्तान के छह प्रमुख एयरबेस—रावलपिंडी, लाहौर, सियालकोट, जकोबाबाद, शोरकोट और नूर खान—को नष्ट कर दिया। इन हमलों ने पाकिस्तानी सेना की रणनीति को ध्वस्त कर दिया और ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस को पूरी तरह विफल कर दिया। भारत ने यह भी दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर में 150 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें कई शीर्ष आतंकी कमांडर शामिल थे। - परमाणु धमकियों का बेअसर होना
पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों की धमकी दी, लेकिन भारत की सटीक और त्वरित जवाबी कार्रवाइयों ने इन धमकियों को बेअसर कर दिया। भारत ने स्पष्ट किया कि उसकी कार्रवाइयां आतंकवाद के खिलाफ थीं, न कि पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी स्थिति को मजबूत किया।
सांस्कृतिक और धार्मिक प्रेरणा
दोनों अभियानों के नाम सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों से प्रेरित थे। ऑपरेशन सिंदूर का नाम भारतीय संस्कृति में सुहाग और प्रतिशोध का प्रतीक है, जो पहलगाम हमले में प्रभावित परिवारों के प्रति भावनात्मक संदेश देता था। दूसरी ओर, ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस का नाम इस्लामी एकजुटता और अभेद्य रक्षा का प्रतीक था, लेकिन जमीनी हकीकत ने इस दावे को खोखला साबित कर दिया।
वैश्विक प्रतिक्रिया और कूटनीति
ऑपरेशन सिंदूर और बुनयान उल मार्सूस ने वैश्विक मंच पर व्यापक ध्यान आकर्षित किया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की, लेकिन भारत की कार्रवाई की निंदा नहीं की, जो भारत की कूटनीतिक जीत थी। अमेरिका ने भारत की कार्रवाई को सटीक और केंद्रित बताया, जबकि पाकिस्तान को चीन के समर्थन के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ज्यादा सहानुभूति नहीं मिली। 10 मई 2025 को डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित युद्धविराम ने तनाव को अस्थायी रूप से कम किया।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के कारण
- सटीक खुफिया जानकारी: भारत ने आतंकी ठिकानों की सटीक जानकारी के आधार पर हमले किए, जिससे नागरिक हताहतों से बचा गया।
- उन्नत तकनीक: राफेल विमानों और SCALP मिसाइलों का उपयोग ऑपरेशन की सफलता का आधार था।
- कूटनीतिक रणनीति: भारत ने ऑपरेशन को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत कर वैश्विक समर्थन हासिल किया।
- भावनात्मक अपील: “सिंदूर” नाम ने जनता के बीच भावनात्मक समर्थन प्राप्त किया।
ऑपरेशन बुनयान उल मार्सूस की विफलता के कारण
- रणनीतिक असफलता: पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई में समन्वय और सटीकता की कमी थी।
- प्रचार पर जोर: पाकिस्तान ने जमीनी प्रभाव की बजाय प्रचार पर ज्यादा ध्यान दिया।
- भारत की मजबूत रक्षा: भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के हमलों को नाकाम कर दिया।
- अंतरराष्ट्रीय अलगाव: पाकिस्तान को अपेक्षित वैश्विक समर्थन नहीं मिला।
ऑपरेशन सिंदूर और बुनयान उल मार्सूस भारत-पाकिस्तान तनाव के दो विपरीत पहलुओं को दर्शाते हैं। भारत ने अपनी सैन्य ताकत, तकनीकी श्रेष्ठता और कूटनीतिक चतुराई का प्रदर्शन किया, जबकि पाकिस्तान का अभियान उसकी सैन्य और रणनीतिक कमियों को उजागर कर गया। यह घटना भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित करती है और सैन्य-कूटनीतिक संतुलन के महत्व को दर्शाती है। भविष्य में, दक्षिण एशिया में शांति के लिए कूटनीतिक संवाद और संयम आवश्यक होंगे।