
पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराना विवाद है, जो दोनों देशों के संबंधों को परिभाषित करता रहा है। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2025 में, इस क्षेत्र को लेकर तनाव ने नई ऊंचाइयां छू ली हैं। 12 मई 2025 को, सूत्रों ने संकेत दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रात 8 बजे राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में POK के संबंध में एक महत्वपूर्ण घोषणा कर सकते हैं। यह खबर पहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आई है। इस लेख में, हम POK के ऐतिहासिक संदर्भ, हाल के घटनाक्रमों, और भारत के संभावित कदमों के प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
POK, जिसे भारत में ‘पाकिस्तान द्वारा कब्जा किया गया जम्मू और कश्मीर’ कहा जाता है, 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद से विवाद का केंद्र रहा है। 1947-48 के युद्ध के परिणामस्वरूप, कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया, जिसे अब POK और गिलगित-बाल्टिस्तान के रूप में जाना जाता है। भारत ने हमेशा दावा किया है कि संपूर्ण जम्मू और कश्मीर उसका अभिन्न अंग है, जबकि पाकिस्तान POK को एक स्वायत्त क्षेत्र मानता है।
इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच कई सैन्य टकराव हुए हैं, जिनमें 1965 का युद्ध और 1999 का कारगिल युद्ध प्रमुख हैं। POK को आतंकवादी गतिविधियों का गढ़ माना जाता है, जहां से भारत में आतंकी हमले प्रायोजित किए जाते हैं। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, भारत ने अपनी स्थिति को और मजबूत करते हुए POK और अक्साई चिन को अपने क्षेत्र का हिस्सा घोषित किया। यह कदम भारत की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर दृढ़ता को दर्शाता है।
हाल के घटनाक्रम
पहलगाम आतंकी हमला
1 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें कई नागरिक शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठनों ने ली, जिसके बाद भारत में व्यापक आक्रोश फैल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि आतंकवादियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जवाबी कार्रवाई
पहलगाम हमले के जवाब में, भारत ने 6 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस अभियान में भारतीय सशस्त्र बलों ने POK और पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। भारत ने इस ऑपरेशन को आतंकवाद के खिलाफ एक लक्षित कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना था। हालांकि, पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला करार दिया और 8, 9, और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले किए, जो विफल रहे।
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने अपनी सीमाओं को और सुदृढ़ किया। 24 सीमावर्ती हवाई अड्डों को 15 मई तक बंद कर दिया गया, और अटारी सीमा पर भारत-पाक व्यापार को पूरी तरह से रोक दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ कई उच्च-स्तरीय बैठकें कीं। इन बैठकों में POK को लेकर भारत की दीर्घकालिक रणनीति पर विचार-विमर्श हुआ।
प्रधानमंत्री का संभावित ऐलान
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी अपने संबोधन में POK के संबंध में एक ऐतिहासिक घोषणा कर सकते हैं। इस ऐलान के संभावित बिंदु निम्नलिखित हो सकते हैं:
- POK की वापसी की मांग: भारत सरकार POK को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानती है। संभव है कि मोदी इस मुद्दे पर भारत की स्थिति को और स्पष्ट करें और POK को भारत में शामिल करने के लिए कूटनीतिक या सैन्य रणनीति की घोषणा करें।
- ऑपरेशन सिंदूर का विस्तार: भारत आतंकवादी ठिकानों पर और सटीक हमले करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर को विस्तार दे सकता है। यह भारत की ‘आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता’ नीति को और मजबूत करेगा।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन: भारत POK में मानवाधिकार उल्लंघन और आतंकवाद के मुद्दे को वैश्विक मंचों, जैसे संयुक्त राष्ट्र, पर उठा सकता है। मोदी उन देशों से समर्थन मांग सकते हैं जो भारत के आतंकवाद-विरोधी रुख का समर्थन करते हैं।
- आर्थिक और कूटनीतिक प्रतिबंध: पाकिस्तान पर और सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। भारत पहले ही पाकिस्तान के साथ व्यापार को निलंबित कर चुका है, और अब अन्य देशों से भी ऐसा करने का आह्वान कर सकता है।
- POK के लोगों के लिए विकास योजनाएं: भारत POK के नागरिकों को अपने साथ जोड़ने के लिए विशेष विकास पैकेज या मानवाधिकारों की रक्षा की योजनाएं घोषित कर सकता है।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव
प्रधानमंत्री का यह संभावित ऐलान भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल कर सकता है। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं:
सैन्य तनाव में वृद्धि
POK को लेकर किसी भी सख्त नीति से सीमा पर सैन्य तनाव बढ़ सकता है। पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर को पहले ही उकसावे की कार्रवाई करार दिया है। यदि भारत POK में और सक्रिय भूमिका निभाता है, तो दोनों देशों के बीच सीमित सैन्य संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है।
कूटनीतिक अलगाव
भारत ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने में सफलता हासिल की है। इस ऐलान के बाद, भारत इस रणनीति को और तेज कर सकता है। हालांकि, पाकिस्तान के सहयोगी, जैसे चीन, भारत के इस कदम का विरोध कर सकते हैं।
आतंकवाद पर प्रभाव
POK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने की भारत की रणनीति आतंकवादी संगठनों पर दबाव बढ़ा सकती है। हालांकि, अल्पकालिक रूप से आतंकी हमलों में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि आतंकी संगठन जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
POK का मुद्दा केवल भारत और पाकिस्तान तक सीमित नहीं है; यह वैश्विक भू-राजनीति से भी जुड़ा है। प्रमुख देशों की संभावित प्रतिक्रियाएं निम्नलिखित हो सकती हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका ने पहलगाम हमले के बाद भारत के प्रति संवेदना व्यक्त की है, लेकिन वह दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की वकालत करता रहा है। भारत के सख्त रुख को अमेरिका संतुलित दृष्टिकोण से देख सकता है।
- चीन: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) POK से होकर गुजरता है, जिसके कारण चीन इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक रुचि रखता है। भारत का कोई भी आक्रामक कदम चीन की तीखी प्रतिक्रिया को आमंत्रित कर सकता है।
- संयुक्त राष्ट्र: भारत POK में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठा सकता है, लेकिन चीन जैसे वीटो-पावर वाले देशों के कारण ठोस कार्रवाई में बाधा आ सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का POK को लेकर संभावित ऐलान भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। यह न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। भारत को अपनी रणनीति को सावधानीपूर्वक लागू करना होगा, ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे। POK का मुद्दा जटिल है, और इसका समाधान सैन्य कार्रवाई, कूटनीति, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के संयोजन से ही संभव है। आने वाले दिन इस बात का खुलासा करेंगे कि भारत इस चुनौती से कैसे निपटता है।