
महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तहसील में स्थित तलेगांव दाभाड़े के पास कुंडमाला क्षेत्र में रविवार, 15 जून 2025 को एक दुखद हादसा हुआ। इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना और जर्जर लोहे का पुल भारी बारिश और नदी के तेज बहाव के कारण अचानक ढह गया। इस हादसे में कई पर्यटकों के नदी में बह जाने की आशंका है, और अब तक 5 से 6 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि पुराने ढांचों की मरम्मत और सुरक्षा के प्रति उदासीनता पर भी सवाल उठाती है। आइए, इस हादसे के कारणों, परिणामों और इससे मिलने वाली सीख पर विस्तार से चर्चा करें।
हादसे का घटनाक्रम
रविवार का दिन होने के कारण तलेगांव दाभाड़े और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटकों की भारी भीड़ थी। कुंडमाला, जो एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, इंद्रायणी नदी के किनारे अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। हाल के दिनों में पुणे और आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था, और पानी का बहाव तेज हो गया था। इस रोमांचक दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग, जिनमें स्थानीय निवासी और पर्यटक शामिल थे, उस पुराने पुल पर इकट्ठा हुए, जो पहले से ही जर्जर हालत में था।
जानकारी के अनुसार, यह पुल पिछले तीन महीनों से वाहनों की आवाजाही के लिए बंद था। स्थानीय प्रशासन ने इसे खतरनाक घोषित कर ट्रैफिक के लिए प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन इसे पूरी तरह से अवरुद्ध करने या वहां सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नतीजतन, लोग आसानी से पुल पर चढ़ गए और नदी के बढ़ते जलस्तर का नजारा देखने लगे। कुछ लोग तो अपने दोपहिया वाहनों के साथ भी पुल पर पहुंच गए, जिससे इसकी क्षमता पर अतिरिक्त दबाव पड़ा।
दोपहर करीब 3:30 से 4:00 बजे के बीच, एक तेज आवाज के साथ पुल का एक हिस्सा अचानक भरभराकर ढह गया। उस समय पुल पर लगभग 100 से 120 लोग मौजूद थे, जिनमें से कई नदी की तेज धारा में बह गए। कुछ लोग नीचे मौजूद पत्थरों पर गिरे, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। हादसे के तुरंत बाद वहां अफरा-तफरी मच गई, और लोग एक-दूसरे को बचाने की कोशिश करने लगे।
बचाव कार्य और प्रशासन का प्रयास
हादसे की सूचना मिलते ही तलेगांव दाभाड़े पुलिस, पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस आयुक्तालय, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं। स्थानीय निवासियों और गोताखोरों ने भी बचाव कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अब तक 5 से 6 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लेकिन अनुमान है कि 15 से 30 लोग अभी भी नदी की तेज धारा में बह गए हैं। कुछ शव बरामद किए गए हैं, जिनमें से कम से कम 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
नदी के तेज बहाव और लगातार बारिश के कारण बचाव कार्य में काफी चुनौतियां आ रही हैं। एनडीआरएफ की टीमें नदी के किनारे और आसपास के गांवों में लापता लोगों की तलाश कर रही हैं। 15 से अधिक एंबुलेंस और फायर टेंडर नावें भी मौके पर तैनात की गई हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि प्रशासन सभी फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “पुणे के तलेगांव में इंद्रायणी नदी पर बने पुल के ढहने की घटना अत्यंत दुखद है। राहत और बचाव कार्य पूरे जोर-शोर से चल रहे हैं।”
प्रशासनिक लापरवाही और स्थानीय लोगों का आक्रोश
स्थानीय निवासियों और चश्मदीदों ने इस हादसे के लिए प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि पुल की जर्जर हालत लंबे समय से सभी के सामने थी, और इसकी मरम्मत या पूर्ण बंदी के लिए बार-बार शिकायतें की गई थीं। एक स्थानीय निवासी, रघुवीर शेलार, ने बताया, “पुल को तीन महीने पहले बंद कर दिया गया था, लेकिन वहां कोई बैरिकेडिंग या चेतावनी बोर्ड नहीं लगाया गया। अगर प्रशासन ने समय पर कार्रवाई की होती, तो यह हादसा टाला जा सकता था।”
शिवसेना (यूबीटी) के नेता आनंद दुबे ने भी प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा, “जब पुल को खतरनाक घोषित कर बंद किया गया था, तो वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी? यह प्रशासन की घोर लापरवाही है।” राकांपा नेता सुप्रिया सुले ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए लोगों से मानसून के दौरान पर्यटन स्थलों पर सावधानी बरतने की अपील की।
हादसे के कारण
इस हादसे के कई कारण सामने आए हैं, जो एक साथ मिलकर इस त्रासदी का कारण बने:
- पुल की जर्जर हालत: यह लोहे का पुल दशकों पुराना था और इसका रखरखाव नहीं किया गया था। जंग और संरचनात्मक कमजोरी ने इसे और भी खतरनाक बना दिया था।
- भारी बारिश और तेज बहाव: पुणे में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही थी, जिसके कारण इंद्रायणी नदी का जलस्तर बढ़ गया था। तेज बहाव ने पुल की नींव को और कमजोर कर दिया।
- अनियंत्रित भीड़: रविवार होने के कारण बड़ी संख्या में पर्यटक और स्थानीय लोग नदी के बढ़ते जलस्तर को देखने के लिए पुल पर इकट्ठा हुए। कुछ लोग अपने वाहनों के साथ भी वहां पहुंचे, जिससे पुल पर अतिरिक्त भार पड़ा।
- प्रशासन की लापरवाही: पुल को बंद करने के बावजूद, वहां कोई ठोस सुरक्षा उपाय नहीं किए गए, जैसे कि बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड, या पुलिस की तैनाती।
मोरबी हादसे से समानता
यह हादसा 2022 में गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे की याद दिलाता है, जहां एक जर्जर केबल पुल के ढहने से 135 लोगों की जान चली गई थी। दोनों ही मामलों में जर्जर संरचना, प्रशासनिक लापरवाही, और भीड़ का अनियंत्रित दबाव हादसे के प्रमुख कारण थे। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक पुराने ढांचों की नियमित जांच और मरम्मत नहीं की जाएगी, तब तक इस तरह के हादसे होते रहेंगे।
भविष्य के लिए सबक
तलेगांव का यह हादसा हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाता है:
- पुराने ढांचों की जांच: सभी पुराने पुलों और इमारतों की नियमित जांच और रखरखाव अनिवार्य है। इसके लिए एक मजबूत नीति और जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- सुरक्षा उपायों का पालन: खतरनाक घोषित स्थानों को पूरी तरह से अवरुद्ध करना और वहां सुरक्षा कर्मियों की तैनाती जरूरी है।
- जन जागरूकता: लोगों को खतरनाक स्थानों पर जाने से बचने और सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए जागरूक करना होगा।
- आपदा प्रबंधन: तेजी से और प्रभावी बचाव कार्य के लिए आपदा प्रबंधन प्रणाली को और मजबूत करना होगा।
पुणे के तलेगांव में हुआ यह हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि हमारे प्रशासनिक और सामाजिक ढांचे की कमियों को भी उजागर करता है। इस घटना ने कई परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है और हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। यह समय है कि हम पुराने ढांचों की मरम्मत, सुरक्षा उपायों को लागू करने, और जन जागरूकता बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों को रोका जा सके।