
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य टकराव, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से जाना जाता है, ने न केवल भारत की सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि आधुनिक युद्धों में नुकसान अपरिहार्य है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने इस ऑपरेशन के दौरान हुए नुकसान और भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया पर खुलकर बात की। सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग में अपने संबोधन में उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से गलत सूचनाओं, साइबर युद्ध, और दीर्घकालिक युद्ध के आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डाला। यह लेख ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए नुकसान, भारत की प्रभावी जवाबी कार्रवाई, और भविष्य की रणनीतियों पर एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ
ऑपरेशन सिंदूर 6-7 मई 2025 की रात को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले का जवाब देना था। इस हमले में आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप 26 निर्दोष लोग मारे गए। इस जघन्य कृत्य ने पूरे देश को झकझोर दिया और भारत सरकार ने त्वरित कार्रवाई का फैसला किया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के शिविर शामिल थे। इस कार्रवाई में करीब 100 आतंकवादी मारे गए, जिनमें कई कुख्यात आतंकी जैसे मुदस्सर खार, हाफिज जमील, और यूसुफ अजहर शामिल थे।
नुकसान का आकलन
जनरल अनिल चौहान ने स्पष्ट किया कि कोई भी युद्ध बिना नुकसान के नहीं होता। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को भी कुछ नुकसान झेलने पड़े। भारतीय सेना ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस ऑपरेशन में पांच भारतीय जवान शहीद हुए। इसके अलावा, कुछ भारतीय लड़ाकू विमानों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें भी सामने आईं, हालांकि जनरल चौहान ने इनकी संख्या को गैर-जरूरी बताते हुए जोर दिया कि नुकसान की वजहों का विश्लेषण अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तकनीकी खामियों और युद्ध की परिस्थितियों का अध्ययन किया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
पाकिस्तान की ओर से भी नुकसान के दावे किए गए। इस्लामाबाद ने आरोप लगाया कि भारत की कार्रवाई में 26 पाकिस्तानी नागरिक मारे गए और 46 घायल हुए। हालांकि, भारत ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि ऑपरेशन में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया और सटीक हथियारों (जैसे SCALP मिसाइल) का उपयोग किया गया ताकि नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि खुफिया जानकारी के आधार पर सावधानीपूर्वक लक्ष्य चुने गए थे।
गलत सूचनाओं का सामना
जनरल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान करीब 15% समय गलत सूचनाओं और फर्जी खबरों का जवाब देने में व्यतीत हुआ। सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर फैलाई गई भ्रामक जानकारियों ने भारत की रणनीति को प्रभावित करने की कोशिश की। उन्होंने सूचना युद्ध (Information Warfare) के लिए एक विशेष शाखा की आवश्यकता पर बल दिया, जो ऐसी चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो। भारत ने इस दौरान तथ्य-आधारित संचार पर ध्यान केंद्रित किया, भले ही इससे जवाब देने में कुछ देरी हुई। शुरूआती चरण में दो महिला अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत की, क्योंकि वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ऑपरेशन में व्यस्त थे।
साइबर युद्ध और तकनीकी पहलू
ऑपरेशन सिंदूर में साइबर युद्ध की भूमिका सीमित रही, लेकिन कुछ डिनायल-ऑफ-सर्विस (DoS) हमलों की सूचना मिली। जनरल चौहान ने बताया कि भारत की एयर-गैप्ड सैन्य प्रणालियाँ पूरी तरह सुरक्षित रहीं, और सैन्य संचालन से जुड़ा कोई भी सिस्टम प्रभावित नहीं हुआ। हालांकि, आम जनता द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर मामूली रुकावटें आईं। भारत ने इस ऑपरेशन में स्वदेशी तकनीकों, जैसे आकाश मिसाइल सिस्टम, और एकीकृत रडार प्रणालियों का उपयोग किया, जिसने सटीक और समयबद्ध निर्णय लेने में मदद की।
दीर्घकालिक युद्ध और आर्थिक प्रभाव
सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि लंबे समय तक चलने वाले युद्ध देश के विकास में बाधा डालते हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से, बिना युद्ध के लंबे समय तक सैन्य तैनाती अत्यंत महंगी होती है। इसलिए, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद जल्दी से डिसइंगेजमेंट की रणनीति अपनाई। जनरल चौहान ने कहा कि दुश्मन इस बात को समझता है और विकास को बाधित करने के लिए लंबे टकराव की कोशिश कर सकता है। भारत की रणनीति संतुलित और टकराव को सीमित रखने की रही, जिसने व्यापक युद्ध की संभावना को कम किया।
पाकिस्तान को जवाब और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों, जैसे S-400, ने इन प्रयासों को नाकाम कर दिया। भारतीय सेना ने बताया कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने 35-40 सैनिक खोए। पाकिस्तान ने यह भी दावा किया कि उसने चीन की कमर्शियल सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया हो सकता है, लेकिन जनरल चौहान ने कहा कि रियल-टाइम टारगेटिंग की सहायता का कोई सबूत नहीं मिला।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, ऑपरेशन सिंदूर को मिश्रित प्रतिक्रियाएँ मिलीं। ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने इसे पहलगाम हमले का जवाब बताया, जबकि ‘बीबीसी’ ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख की सराहना की। रूस की समाचार एजेंसी ‘तास’ ने भारत के बयानों का समर्थन किया। हालांकि, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ करार दिया और जवाबी कार्रवाई का अधिकार होने की बात कही।
ऑपरेशन की सफलता और भविष्य की रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य क्षमता और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को स्पष्ट किया। तीनों सेनाओं (थल, वायु, और नौसेना) के समन्वय ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया। जनरल चौहान ने उधमपुर और चंडीमंदिर में उत्तरी और पश्चिमी कमानों का दौरा कर सैनिकों की वीरता और अनुशासन की सराहना की। उन्होंने नागरिकों के पुनर्वास में सेना की भूमिका पर भी जोर दिया।
भविष्य में, भारत को सूचना युद्ध, साइबर सुरक्षा, और स्वचालन (ऑटोमेशन) जैसे क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को और मजबूत करना होगा। जनरल चौहान ने चेतावनी दी कि यदि युद्ध में मानवीय नुकसान कम होता है, तो निर्णयकर्ता अधिक आक्रामक हो सकते हैं, जो युद्ध नीतियों और नैतिकता के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसने न केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि भारत की सैन्य और रणनीतिक ताकत को भी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया। जनरल अनिल चौहान के नेतृत्व में, भारतीय सशस्त्र बलों ने सटीकता, अनुशासन, और समन्वय के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। हालांकि, नुकसान अपरिहार्य रहे, भारत ने प्रभावी ढंग से जवाब दिया और अपनी संप्रभुता की रक्षा की। यह ऑपरेशन भविष्य के युद्धों के लिए एक उदाहरण है, जिसमें तकनीक, सूचना, और रणनीति का संतुलित उपयोग आवश्यक होगा।