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Home»News»पाकिस्तान से भले सीजफायर हो, हम तो बर्बाद हो गए’:जम्मू में मिसाइल-ड्रोन अटैक से घर टूटे, लोग बोले- पहली बार इतनी बमबारी देखी
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पाकिस्तान से भले सीजफायर हो, हम तो बर्बाद हो गए’:जम्मू में मिसाइल-ड्रोन अटैक से घर टूटे, लोग बोले- पहली बार इतनी बमबारी देखी

By Technical True11 May 2025Updated:30 May 2025
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जम्मू-कश्मीर, भारत का वह खूबसूरत हिस्सा, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बर्फीली वादियों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, हाल ही में युद्ध की भयावहता का शिकार हुआ। मई 2025 में पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों ने इस क्षेत्र को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया। भले ही दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा हो चुकी हो, लेकिन स्थानीय लोगों के जख्म इतने गहरे हैं कि उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। यह लेख उन लोगों की कहानी बयां करता है, जिन्होंने इस त्रासदी को अपनी आंखों से देखा और इसके दर्द को अपने दिलों में महसूस किया।

हमले की शुरुआत: एक भयावह रात

7-8 मई 2025 की रात जम्मू-कश्मीर के लिए एक काला अध्याय बन गई। जब लोग अपने घरों में रात का खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे थे, तभी सायरनों की तीखी आवाजों ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। यह कोई सामान्य रात नहीं थी। पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और मिसाइल हमलों की बौछार शुरू हो चुकी थी। जम्मू, श्रीनगर, पठानकोट, और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में धमाकों की गूंज सुनाई देने लगी। भारतीय सेना ने तुरंत जवाबी कार्रवाई शुरू की, लेकिन तब तक कई रिहायशी इलाकों में भारी नुकसान हो चुका था।

सांबा जिले के निवासी रवि शर्मा बताते हैं, “हम अपने परिवार के साथ रात का खाना खा रहे थे। अचानक सायरन बजा, और कुछ ही पलों में आसमान में तेज रोशनी और धमाकों की आवाजें गूंजने लगीं। मैंने अपने बच्चों को बंकर की ओर दौड़ाया, लेकिन इससे पहले कि हम सुरक्षित स्थान पर पहुंच पाते, एक ड्रोन हमारे घर के पास गिरा। हमारा घर आग की लपटों में घिर गया। हमारी सालों की मेहनत एक पल में राख हो गई।”

इसी तरह, राजौरी की शहनाज बेगम अपनी कहानी साझा करती हैं। उनके परिवार ने इस हमले में अपनी तीन साल की बेटी को खो दिया। शहनाज कहती हैं, “हमारी छोटी सी गुड़िया सो रही थी जब एक मिसाइल की चपेट में हमारा घर आया। छत का हिस्सा ढह गया, और हम उसे बचा नहीं सके। यह दर्द जिंदगी भर रहेगा। हमारा सब कुछ छिन गया।”

तबाही का आलम: बिखरे परिवार, टूटे सपने

पाकिस्तान की ओर से किए गए इन हमलों में आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया। खबरों के अनुसार, डीजेआई मिलिट्री वर्जन ड्रोन, पीएल-15 मिसाइलें, और एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम का उपयोग हुआ। इसके अलावा, जेएफ-17, एफ-16, और जे-10सी फाइटर जेट्स ने भी हमलों में हिस्सा लिया। भारतीय सेना के उन्नत S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश हमलों को नाकाम कर दिया, लेकिन कुछ ड्रोन और मिसाइलें रिहायशी इलाकों तक पहुंच गईं, जिससे भारी तबाही मची।

सांबा, राजौरी, पुंछ, और उधमपुर जैसे क्षेत्रों में भारी गोलीबारी और बमबारी की खबरें सामने आईं। कई घर पूरी तरह से ढह गए, जबकि कुछ आग की चपेट में आ गए। फिरोजपुर के एक गांव में चार ड्रोन हमले हुए, जिनमें से दो को भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने नष्ट कर दिया, लेकिन बाकी दो ने एक घर को निशाना बनाया, जिससे एक परिवार के चार सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

पुंछ की निवासी राधा देवी कहती हैं, “हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा गांव युद्ध का मैदान बन जाएगा। रात को धमाकों की आवाज ऐसी थी जैसे पूरा आसमान टूट रहा हो। हमारा घर, जो हमने अपनी जिंदगी की जमा-पूंजी से बनाया था, अब मलबे का ढेर है। हमारे पास अब कुछ नहीं बचा।”

भारतीय सेना का जवाब: ऑपरेशन तूफान

पाकिस्तान के इन हमलों का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन तूफान’ शुरू किया। इस ऑपरेशन के तहत, भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक और प्रभावी हमले किए। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के छह शहरों में आठ आतंकी कैंपों को नष्ट किया गया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के ठिकाने शामिल थे। भारतीय सेना ने स्पष्ट किया कि इन हमलों में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, न कि आम नागरिकों या पाकिस्तानी सेना को।

भारत के S-400 सिस्टम, जिसे ‘वज्र’ के नाम से जाना जाता है, ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया। भारतीय वायुसेना ने भी पाकिस्तान के तीन जेएफ-17 फाइटर जेट्स और एक एफ-16 को मार गिराया। इसके अलावा, एक पाकिस्तानी AWACS विमान को भी नष्ट किया गया, जिससे पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणाली को भारी नुकसान पहुंचा।

युद्धविराम का उल्लंघन: बार-बार की हरकतें

9 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा हुई, लेकिन यह समझौता चंद घंटों में ही टूट गया। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, “यह कैसा युद्धविराम है? श्रीनगर में फिर से धमाकों की आवाजें सुनाई दीं।” खबरों के मुताबिक, युद्धविराम के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने पठानकोट, उधमपुर, और श्रीनगर में ड्रोन हमले किए, जिन्हें भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया।

पंजाब के फिरोजपुर और राजस्थान के जैसलमेर जैसे क्षेत्रों में भी ड्रोन हमले की कोशिशें हुईं। इन हमलों के कारण कई इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप कर दी गई, और सायरनों की आवाजों ने लोगों को रातभर जागने पर मजबूर कर दिया।

लोगों की आपबीती: डर का साया

जम्मू के निवासियों के लिए यह हमला केवल एक रात की त्रासदी नहीं था, बल्कि एक ऐसी घटना थी जिसने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, जबकि कुछ ने अपनी जिंदगी की कमाई से बनाए घरों को मलबे में तब्दील होते देखा।

कठुआ की निवासी अनीता कुमारी कहती हैं, “हमने पहली बार इतनी भयानक बमबारी देखी। रात को आसमान में लाल-पीली रोशनी और धमाकों की आवाजें ऐसी थीं जैसे युद्ध शुरू हो गया हो। हम अपने बच्चों को लेकर बंकर में छिप गए, लेकिन डर इतना था कि हमारी सांसें थम गई थीं। अब हमारा घर पूरी तरह से नष्ट हो चुका है।”

पठानकोट के एक किसान, बलदेव सिंह, ने बताया, “हमारे खेतों में ड्रोन का मलबा गिरा। हमारी फसलें जल गईं, और अब हमारे पास आय का कोई साधन नहीं बचा। पाकिस्तान ने हमें बर्बाद कर दिया। युद्धविराम की बातें तो होती हैं, लेकिन हमारा नुकसान कौन पूरा करेगा?”

सरकार का रुख और राहत कार्य

हमलों के बाद, भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किए। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती किया गया, और प्रभावित परिवारों को अस्थायी आश्रय प्रदान किया गया। रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “भारतीय सेना हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। हम पाकिस्तान की किसी भी उकसावे की कार्रवाई का कड़ा जवाब देंगे।”

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और लोगों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनके साथ है। उन्होंने कहा, “हम इस त्रासदी से उबरेंगे। हमारी सेना पाकिस्तान की हरकतों का जवाब दे रही है, और हम अपने लोगों को हर संभव मदद प्रदान करेंगे।”

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

इन हमलों का असर केवल भौतिक नुकसान तक सीमित नहीं रहा। इसका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी गहरा रहा। जम्मू और आसपास के क्षेत्रों में स्कूल, कॉलेज, और बाजार बंद कर दिए गए। पर्यटन उद्योग, जो जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, पूरी तरह ठप हो गया।

स्थानीय व्यापारी रमेश गुप्ता कहते हैं, “हमारी दुकानें बंद हैं, और पर्यटक अब डर के कारण यहां नहीं आ रहे। हम पहले ही कई समस्याओं से जूझ रहे थे, और अब यह हमला हमारी कमर तोड़ गया। सरकार को हमें आर्थिक मदद देनी होगी, वरना हमारा गुजारा मुश्किल हो जाएगा।”

भविष्य की अनिश्चितता

युद्धविराम के बावजूद, जम्मू के लोग भविष्य को लेकर चिंतित हैं। पाकिस्तान की ओर से बार-बार युद्धविराम का उल्लंघन और ड्रोन हमलों की आशंका ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है। कई परिवार अपने गांवों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने की सोच रहे हैं, लेकिन उनके पास संसाधनों की कमी है।

उधमपुर के एक बुजुर्ग निवासी, श्याम लाल, कहते हैं, “हमने अपनी पूरी जिंदगी यहीं बिताई। कभी नहीं सोचा था कि हमें अपने घर छोड़कर भागना पड़ेगा। लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि हमें नहीं पता कि कल क्या होगा। हमारी सेना और सरकार पर भरोसा है, लेकिन डर हर पल हमारे साथ है।”

जम्मू-कश्मीर में हुए इन ड्रोन और मिसाइल हमलों ने न केवल भौतिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि लोगों के मन में गहरे जख्म छोड़े। यह त्रासदी एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि युद्ध और हिंसा केवल तबाही और दुख लाती है। भारतीय सेना ने अपनी ताकत और साहस का परिचय दिया, लेकिन आम लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए सरकार को और अधिक प्रयास करने होंगे।

लोगों की आपबीती सुनकर यह स्पष्ट है कि वे न केवल अपने घरों और संपत्ति के नुकसान का दुख झेल रहे हैं, बल्कि अनिश्चितता और डर के साये में जी रहे हैं। ऐसे में, समाज और सरकार को एकजुट होकर इन लोगों का समर्थन करना होगा। राहत कार्य, पुनर्वास, और आर्थिक सहायता के साथ-साथ, मनोवैज्ञानिक समर्थन भी जरूरी है ताकि लोग इस त्रासदी से उबर सकें।

जम्मू के लोग अपनी हिम्मत और एकजुटता के साथ इस मुश्किल घड़ी से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कहानियां हमें सिखाती हैं कि शांति ही एकमात्र रास्ता है जो हमें बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकता है।

ceasefire Missile-drone attack in Jammu Pakistan so much bombardment
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