
विराट कोहली ने 20 जून 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की। उस समय वह एक युवा और जोशीले बल्लेबाज थे, जिनमें असाधारण प्रतिभा की झलक साफ दिखाई देती थी। दिल्ली के इस क्रिकेटर ने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी, तकनीकी कौशल, और फिटनेस के प्रति समर्पण से जल्द ही क्रिकेट जगत का ध्यान खींच लिया। 2014 में, जब महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया, कोहली को भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी सौंपी गई। इस जिम्मेदारी ने उनके करियर को नई दिशा दी और भारत को टेस्ट क्रिकेट में एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया।
कोहली की कप्तानी में भारत ने 68 टेस्ट मैचों में से 40 में जीत हासिल की, जो किसी भी भारतीय टेस्ट कप्तान का सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड है। उनके नेतृत्व में भारत ने 2016 से 2019 तक लगातार चार वर्षों तक आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान बनाए रखा। विशेष रूप से, 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाली पहली भारतीय टीम की कप्तानी कोहली ने की। यह जीत भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टेस्ट सीरीज जीतना हमेशा एक कठिन चुनौती रही है।
कोहली का टेस्ट करियर: आंकड़ों की कहानी
विराट कोहली का टेस्ट करियर आंकड़ों के लिहाज से भी असाधारण रहा। उन्होंने 123 टेस्ट मैचों में 46.85 की औसत से 9,230 रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 31 अर्धशतक शामिल हैं। उनका सर्वोच्च स्कोर 254 नॉट आउट रहा, जो उन्होंने 2019 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पुणे में बनाया था। 2016 से 2019 तक का दौर कोहली के टेस्ट करियर का स्वर्णिम युग था। इस दौरान उन्होंने 35 टेस्ट मैचों में 3,596 रन बनाए, जिसमें 14 शतक और 8 अर्धशतक शामिल थे। उनकी बल्लेबाजी औसत इस अवधि में 75.93 (2016), 75.64 (2017), 55.08 (2018), और 68.00 (2019) रही, जो उनकी निरंतरता और दबदबे को दर्शाती है।
हालांकि, 2020 के बाद कोहली का टेस्ट फॉर्म कुछ हद तक अस्थिर रहा। इस अवधि में उनकी औसत 32.56 रही, और उन्होंने केवल तीन शतक बनाए। 2024-25 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों में उन्होंने केवल 190 रन बनाए, जिसमें पर्थ में एक शतक शामिल था। इस सीरीज में उनकी ऑफ-स्टंप के बाहर की गेंदों पर कमजोरी बार-बार सामने आई। कोहली ने इस दौरे को निराशाजनक बताया और कहा, “मैं शायद चार साल बाद फिर से ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल पाऊंगा।”
संन्यास का फैसला: कारण और परिस्थितियां
विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का फैसला अचानक नहीं था। सूत्रों के अनुसार, कोहली पिछले कुछ समय से बीसीसीआई के साथ इस विषय पर चर्चा कर रहे थे। बीसीसीआई ने उनसे इंग्लैंड के आगामी दौरे (20 जून 2025 से शुरू) के लिए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था, लेकिन कोहली अपने निर्णय पर अडिग रहे। उनके संन्यास के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं।
पहला, हाल के वर्षों में उनकी फॉर्म में उतार-चढ़ाव। ऑस्ट्रेलिया में खराब प्रदर्शन ने उनकी तकनीकी कमजोरियों को उजागर किया, खासकर ऑफ-स्टंप के बाहर की गेंदों पर। दूसरा, रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ने कोहली पर अतिरिक्त जिम्मेदारी डाली। रोहित के बाद, कोहली भारतीय टेस्ट टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी थे, लेकिन शायद उन्होंने महसूस किया कि वह टेस्ट क्रिकेट की शारीरिक और मानसिक मांगों को अब और पूरा नहीं कर सकते।
तीसरा, कोहली की उम्र और करियर का चरण। 36 वर्ष की आयु में, कोहली अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं। उन्होंने पहले ही टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, और अब टेस्ट क्रिकेट से हटकर वह अपनी ऊर्जा वनडे क्रिकेट पर केंद्रित करना चाहते हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, “मैं अपने करियर को इस तरह से प्लान कर रहा हूं कि मुझे कोई पछतावा न हो। मैं केवल उन प्रारूपों में खेलना चाहता हूं जहां मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकूं।”
बीसीसीआई और प्रशंसकों की प्रतिक्रिया
कोहली के संन्यास की घोषणा के बाद बीसीसीआई ने एक भावनात्मक बयान जारी किया: “विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। एक युग का अंत हुआ, लेकिन उनकी विरासत हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।” प्रशंसकों की प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर बाढ़ की तरह आईं। कुछ ने उन्हें “किंग कोहली” और “टेस्ट क्रिकेट का योद्धा” कहकर सराहा, तो कुछ ने इंग्लैंड दौरे पर उनकी अनुपस्थिति पर निराशा जताई। वेस्टइंडीज के दिग्गज ब्रायन लारा ने कोहली से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की, जबकि पूर्व भारतीय क्रिकेटर अंबाती रायुडू ने कहा, “विराट, तुममें अभी बहुत कुछ बाकी है। भारतीय क्रिकेट को तुम्हारी जरूरत है।”
भारतीय टेस्ट क्रिकेट पर प्रभाव
कोहली का संन्यास भारतीय टेस्ट क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब रोहित शर्मा, रविचंद्रन अश्विन, चेतेश्वर पुजारा, और अजिंक्य रहाणे जैसे सीनियर खिलाड़ी पहले ही इस प्रारूप से हट चुके हैं। भारतीय मध्यक्रम अब शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल, और ऋषभ पंत जैसे युवा खिलाड़ियों पर निर्भर होगा। गिल को टेस्ट कप्तानी का प्रबल दावेदार माना जा रहा है, लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमता अभी परखी जानी बाकी है।
कोहली की जगह नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए साई सुदर्शन जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका मिल सकता है, जिन्होंने काउंटी और घरेलू क्रिकेट में प्रभावशाली प्रदर्शन किया है। फिर भी, कोहली जैसे खिलाड़ी की जगह भरना आसान नहीं होगा, जिनका मैदान पर उत्साह और आक्रामकता भारतीय टेस्ट क्रिकेट की पहचान थी।
वनडे क्रिकेट में कोहली का भविष्य
टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बावजूद, कोहली वनडे क्रिकेट में अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने 292 वनडे मैचों में 13,906 रन बनाए हैं, जिसमें 50 शतक शामिल हैं। वह 2027 वनडे विश्व कप को अपने करियर का अगला बड़ा लक्ष्य मानते हैं। आईपीएल 2025 में उनके 505 रनों का प्रदर्शन उनकी फॉर्म और भूख को दर्शाता है। उनकी मौजूदगी युवा भारतीय टीम के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगी।
विराट कोहली का योगदान केवल रनों और शतकों तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट में फिटनेस, अनुशासन, और जीत की मानसिकता की संस्कृति को स्थापित किया। उनकी कप्तानी में भारत ने विदेशी धरती पर टेस्ट जीतने की कला सीखी। कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को हमेशा सर्वोच्च प्रारूप माना और इसके महत्व को बढ़ावा दिया। उनकी जुझारू प्रवृत्ति और चुनौतियों से उबरने की क्षमता उन्हें एक महान खिलाड़ी बनाती है।
विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास एक युग का अंत है, लेकिन उनकी विरासत भारतीय क्रिकेट को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। वह “किंग कोहली” के रूप में हमेशा प्रशंसकों के दिलों में बसे रहेंगे।