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Home»News»ख़ालिदा ज़िया की वापसी के बाद बांग्लादेश के क्या हालात हैं?
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ख़ालिदा ज़िया की वापसी के बाद बांग्लादेश के क्या हालात हैं?

By Technical True13 May 2025Updated:28 May 2025
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79 वर्षीय खालिदा जिया लंबे समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं। लिवर सिरोसिस, किडनी रोग, हृदय संबंधी समस्याएं, मधुमेह और गठिया जैसी बीमारियों ने उनकी सेहत को प्रभावित किया है। जनवरी 2025 में, वह बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के लिए लंदन रवाना हुई थीं, जहां उन्हें ‘लंदन क्लीनिक’ में भर्ती किया गया। उनकी वापसी कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी द्वारा उपलब्ध कराई गई विशेष एयर एम्बुलेंस के जरिए हुई। ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बीएनपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया। यह स्वागत न केवल उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है, बल्कि बांग्लादेश की राजनीति में उनकी प्रासंगिकता को भी रेखांकित करता है।

बांग्लादेश का बदलता राजनीतिक परिदृश्य

खालिदा जिया की वापसी ने बांग्लादेश की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया है। अगस्त 2024 में, छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों ने शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से हटा दिया था। इसके बाद, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ, जिसे सुधारों को लागू करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि, खालिदा जिया की वापसी ने इस अंतरिम सरकार के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

बीएनपी की रणनीति और महत्वाकांक्षाएं

बीएनपी ने खालिदा जिया की वापसी को एक रणनीतिक अवसर के रूप में देखा है। पार्टी ने दिसंबर 2025 में राष्ट्रीय चुनाव कराने की मांग को और तेज कर दिया है। बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, “खालिदा जिया की वापसी बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली का प्रतीक है। उनकी उपस्थिति हमें और मजबूत करेगी।” हाल के सर्वेक्षणों में बीएनपी को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है, जो पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत है। खालिदा जिया की लोकप्रियता और उनके नेतृत्व में बीएनपी का संगठनात्मक ढांचा पार्टी को मजबूत स्थिति में ला सकता है।

अंतरिम सरकार की चुनौतियां

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार पर सुधारों को लागू करने में देरी और निष्पक्ष चुनाव कराने में विफलता के आरोप लग रहे हैं। अवामी लीग के नेताओं पर प्रतिबंध और उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों ने देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण को और गहरा किया है। खालिदा जिया की वापसी ने इन तनावों को और बढ़ा दिया है, क्योंकि बीएनपी अब अपने समर्थकों को एकजुट करने और सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही है।

नई राजनीतिक ताकतों का उदय

छात्र आंदोलन के बाद बांग्लादेश की राजनीति में नई ताकतों का उदय हुआ है। ‘नेशनल सिटीजन पार्टी’ जैसी नई पार्टियां, जो नाहिद इस्लाम जैसे युवा नेताओं के नेतृत्व में उभरी हैं, ने राजनीतिक परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। इसके अलावा, जातीय पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी जैसे छोटे दल भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। ये नई ताकतें बीएनपी और अवामी लीग के पारंपरिक द्विपक्षीय वर्चस्व को चुनौती दे सकती हैं।

सामाजिक प्रभाव और ध्रुवीकरण

खालिदा जिया की वापसी ने बीएनपी समर्थकों में जोश और उत्साह भरा है, लेकिन साथ ही सामाजिक ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा दिया है। बांग्लादेश में सामाजिक एकता पहले से ही नाजुक थी, और उनकी वापसी ने इस स्थिति को और जटिल कर दिया है।

अल्पसंख्यकों की स्थिति

बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। बीएनपी को कुछ कट्टरपंथी संगठनों के करीब माना जाता है, जिसके कारण अल्पसंख्यक समुदायों में डर और अनिश्चितता का माहौल है। अंतरिम सरकार और बीएनपी दोनों को इस मुद्दे पर संवेदनशीलता के साथ काम करना होगा ताकि सामाजिक सौहार्द बनाए रखा जा सके।

युवाओं की भूमिका और अपेक्षाएं

बांग्लादेश की युवा आबादी ने हाल के वर्षों में राजनीतिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन इसका स्पष्ट उदाहरण हैं। खालिदा जिया की वापसी ने युवाओं में नई उम्मीदें जगाई हैं, लेकिन यदि उनकी मांगें—जैसे रोजगार, शिक्षा और बेहतर भविष्य—पूरी नहीं हुईं, तो यह असंतोष को और बढ़ा सकता है। बीएनपी को युवाओं की आकांक्षाओं को समझना और उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करना होगा।

आर्थिक चुनौतियां और अवसर

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में कई संकटों से जूझ रही है। कोविड-19 महामारी और यूक्रेन संकट ने देश की आर्थिक स्थिरता को प्रभावित किया है। खालिदा जिया की वापसी और बीएनपी की संभावित सत्ता में वापसी इस स्थिति को और जटिल बना सकती है।

निवेश और व्यापार

राजनीतिक अनिश्चितता ने विदेशी निवेश को प्रभावित किया है। बीएनपी की भारत विरोधी नीतियां भारत के साथ आर्थिक संबंधों को कमजोर कर सकती हैं, जो बांग्लादेश का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। इसके अलावा, कपड़ा और रेडीमेड गारमेंट उद्योग, जो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, को स्थिरता की आवश्यकता है। बीएनपी को निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए ठोस नीतियां प्रस्तुत करनी होंगी।

रोजगार और गरीबी उन्मूलन

युवा बेरोजगारी बांग्लादेश की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। बीएनपी को सत्ता में आने पर रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन के लिए प्रभावी योजनाएं लागू करनी होंगी। कौशल विकास और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन जैसे कदम युवाओं को सशक्त बना सकते हैं।

क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

खालिदा जिया की वापसी का प्रभाव केवल बांग्लादेश तक सीमित नहीं है; इसके क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय निहितार्थ भी हैं।

भारत के साथ संबंध

बीएनपी का पारंपरिक भारत विरोधी रुख और शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव पैदा किया है। भारत, जो बांग्लादेश का एक महत्वपूर्ण पड़ोसी और व्यापारिक साझेदार है, इन घटनाक्रमों पर करीब से नजर रख रहा है। बीएनपी को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत के साथ रचनात्मक संवाद स्थापित करना होगा।

चीन और अन्य वैश्विक शक्तियां

बीएनपी का चीन के प्रति झुकाव क्षेत्रीय समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। चीन ने हाल के वर्षों में बांग्लादेश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारी निवेश किया है। बीएनपी की नीतियां इस संबंध को और मजबूत कर सकती हैं, लेकिन यह भारत और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को जटिल बना सकता है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर

संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देश बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली और निष्पक्ष चुनावों पर नजर रखे हुए हैं। खालिदा जिया की वापसी और बीएनपी की रणनीति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। बीएनपी को वैश्विक समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए पारदर्शी और समावेशी नीतियां अपनानी होंगी।

खालिदा जिया की वापसी ने बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ला खड़ा किया है। बीएनपी के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियां भी हैं। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता, और क्षेत्रीय संबंधों जैसे मुद्दों पर बीएनपी को संतुलित और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना होगा। आने वाले महीने बांग्लादेश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दिशा तय करेंगे, और यह देखना दिलचस्प होगा कि खालिदा जिया और उनकी पार्टी इस अवसर का कैसे उपयोग करते हैं।

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